शिर्डी. राहता नगरपालिका (Rahata Nagarpalika) के गोलमाल स्वच्छ सर्वेक्षण (Swachh Survekshan) अभियान के हजारों रुपए की सामग्री सुलभ शौचालय से नगरपालिका के ही अधिकारी ने कुछ ही मिनटों में गायब कर दिए। इसकी जांच जिला अधिकारी द्वारा की जाए, ऐसी मांग पूर्व नगराध्यक्ष साहबराव निधाणे (Sahibrao Nidhane) ने की है। राहता शहर पिछले महीने से भारत स्वच्छता अभियान की तैयारी कर रहा है।
शहर की मुख्य सड़क, नगरपालिका भवन और शहर के सभी शौचालयों को रंगीन चित्रों और संदेशों से सजाया गया है। निधाणे ने आरोप लगाया है कि इस अभियान पर लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं और यह केवल नगरपालिका प्रशासन द्वारा एक दिखावा है।
फोटो सेशन और कागजों पर दिखाकर सरकारी निधि हड़पने का प्रयास
उन्होंने कहा कि यह स्वच्छता सर्वेक्षण अभियान केवल फोटो सेशन कर कागज पर दिखाया जा रहा है। इस अभियान के लिए सरकार द्वारा बनाए गए नियमों और शर्तों को केवल अस्थायी रूप से फोटो सत्र के लिए बनाया जा रहा है। केंद्रीय और राज्य स्तर पर एक टीम द्वारा यह सब दिखाने के लिए तैयार किया जा रहा है। यह लोगों और सरकार की आंखों में धूल झोंकने जैसा है। शुक्रवार को जब केंद्र की टीम निरीक्षण के लिए आई, तो नगरपालिका ने शहर में नए भवनों की तरह शौचालयों को सजाया।
महिलाओं को दी गई डस्टबिन लिया वापस
उन्होंने शौचालय में आईने, महिलाओं के लिए सेनेटरी नैपकिन मशीन, डस्टबिन, पानी के लिए बाल्टी, सेनिटाइजर के ड्रम, हाथ धोने के लिए साबुन और दरवाजे के सामने डिटॉल रखा था। जैसे ही टीम रवाना हुई, स्वास्थ्य कर्मचारी तुरंत इन सामग्रियों को उठा लिया और उन्हें दूसरे शौचालय में ले गए और वहां सजाया गया। ग्रामीण क्षेत्र में नए डस्टबिन महिलाओं को दिए गए, उनकी तस्वीरें ली गईं और बाद में डस्टबिन वापस ले लिए गए। इन सभी मामलों के नागरिकों ने फोटो और वीडियो लिए और उन्हें सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया। कुछ नगरसेवकों ने मौके पर आकर धांधली को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त की। सरकार के अभियान का राहता पालिका मजाक बना रही है। इस अभियान का केवल दिखावा करके अनुदान लूटने की योजना नगरपालिका द्वारा बनाई गई है। कई शौचालयों में पानी की टंकी ना होते हुए भी नई पाइपलाइन लगाकर सब ठीक होने का दिखावा किया गया। रोज की स्वच्छता पहले जैसे ही हो रही है।
साफ-सफाई में कोई सुधार नहीं
किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं हुआ है। जहां कचरे का ढेर लगा है, वहां कोई सफाई नहीं। केवल फोटो सेशन कर और अभियान को कागज पर चलाकर सरकारी निधि हड़पने का प्लान किया गया है। जिला अधिकारी को इसकी जांच करनी चाहिए, ऐसी मांग पूर्व नगरसेवक निधाणे ने की है। पिछले साल अभियान के दौरान कॉर्नर गार्डन गायब हो गया था। इसी अभियान के दौरान नगरपालिका ने शहर में 6 से 7 स्थानों पर कॉर्नर गार्डन बनाए और देशी और विदेशी पेड़ लगाने पर लाखों रुपए खर्च किए। यह कार्नर गार्डन अब दिखाई नहीं देते। उनका हिसाब देने की मांग भी नागरिक कर रहे हैं।