FDA Approves Remadecivir as First Medication for Covid-19 Treatment in US

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    नाशिक. कोरोना के रोगियों (Corona Patients) की बढ़ती संख्या चिंताजनक है, यह हाल ही में सामने आया है कि खाद्य और औषधि प्रशासन में अधिकारियों के बीच कोई समन्वय नहीं है। पिछले दिनों कृषि मंत्री ने जब एफडीए (FDA) में धरना दिया था तब यह मामला सामने आया। विभाग में शून्य नियोजन होने से विभागीय आयुक्त के साथ जिलाधिकारी ने भी एफडीए के अधिकारियों को फटकार लगायी थी।

    ड्रग इंस्पेक्टर्स ने लापरवाही के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने शिकायत की कि वरिष्ठ अधिकारी अपनी मर्जी से निजी अस्पतालों और केंद्र के अंतर्गत आने वाले कंपनी इंडिया सेक्युरिटी प्रेस और मिलिटरी अस्पताल को रेमडेसिविर (Remdesivir Injection) की आपूर्ति कर रहे हैं। इस बात को सुनते ही सहायक आयुक्त ने निरीक्षकों को खरी-खोटी सुना डाली। 

    कछुआ गति से चल रहा खाद्य और औषधि आपूर्ति विभाग

    कोरोना पीड़ित अनेक मरीजों को ऑक्सीजन की जरुरत होती है। साथ ही रेमडेसिविर इंजेक्शन से मरीजों को फायदा होने से शहर के सभी अस्पतालों में इस इंजेक्शन का उपयोग किया जा रहा है। इस स्थिति के कारण ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन की बड़ी मात्रा में कमी होने लगी है। इतना होने के बाद भी खाद्य और औषधि आपूर्ति विभाग की चाल कछुआ की गति जैसी ही है, जिसे देखकर लोकप्रतिनिधियों को भी गुस्सा आने लगा है। इसी का परिणाम था कि राज्य के कृषिमंत्री दादा भुसे ने 2 घंटे FDA के कार्यालय में रेमडेसिविर इंजेक्शनन के लिए धरना दे रखा था, जिससे उस दिन सभी अधिकारी भागे-भागे फिर रहे थे।

    सहायक आयुक्त ने निरीक्षकों को खरी-खोटी सुनाई

    महामारी के दौरान स्थानीय रोगियों की देखभाल करने के बजाय, कुछ एफडीए निरीक्षकों ने अपने निजी हितों को आगे बढ़ाने के लिए अपनी पसंद के निजी अस्पतालों को इंजेक्शन की आपूर्ति की है। इस बात से नाराज कुछ निरीक्षकों ने अपने वरिष्ठों की अनुमति के बिना भारत सुरक्षा प्रेस और सैन्य अस्पतालों में इंजेक्शन की आपूर्ति की थी, सह-आयुक्त दुष्यंत भामरे ने निरीक्षकों को मोबाइल फोन से संबोधित किया और उनसे जवाब देने के लिए कहा।