Navaratri 2023

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    -सीमा कुमारी

    हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। शास्त्रों में कुल चार प्रकार की नवरात्रि वर्णित हैं। शरद नवरात्रि, चैत्र नवरात्रि, माघ नवरात्रि और आषाढ़ नवरात्रि। माघ और आषाढ़ नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं। इस साल माघ गुप्त नवरात्रि 12 फरवरी के दिन शुक्रवार से शुरू हो रही हैं, चैत्र माह और अश्विन माह की नवरात्रि साधारण जन के लिए होती हैं। चैत्र नवरात्रि को बसंत नवरात्रि और अश्विन नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। तो वहीं माघ माह और आषाढ़ माह में गुप्त नवरात्रि आती हैं। नवरात्रि में जहां मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है तो वहीं गुप्त नवरात्रि में मां आदिशक्ति की दसमहाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि मुख्य रूप से साधुओं, तांत्रिकों द्वारा मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए व तंत्र  विद्या के लिए किया जाता है। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा को जितना गुप्त रखा जाता है, फल उतना ही ज्यादा मिलता है। तो चलिए जानते हैं, गुप्त नवरात्रि का शुभ  मुहर्त और  पूजा विधि…

    शुभ मुहर्त –

    • नवरात्रि शुरू 12 फरवरी 2021 दिन शुक्रवार
    • नवरात्रि समाप्त 21 फरवरी 2021 दिन रविवार
    • कलश स्थापना मुहूर्त- सुबह 08 बजकर 34 मिनट से 09 बजकर 59 मिनट तक
    • अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक।

    पूजा विधि –मां आदिशक्ति दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए पूजा इस प्रकार से करें, मान्यता अनुसार, गुप्त नवरात्रि के दौरान तांत्रिक और अघोरी मां दुर्गा की आधी रात में पूजा करते हैं। मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित कर लाल रंग का सिंदूर और सुनहरे गोटे वाली चुनरी अर्पित की जाती है। इसके बाद मां के चरणों में पानी वाला नारियल, केले, सेब, खील, बताशे और श्रृंगार का सामान अर्पित किया जाता है। मां दुर्गा को लाल पुष्प चढ़ाना शुभ माना जाता है। सरसों के तेल से दीपक जलाकर ‘ॐ दुं दुर्गायै नमः’ मंत्र का जाप करना चाहिए। मां आदिशक्ति दुर्गा के इन स्वरूपों की पूजा की जाती है।

    • मां ध्रूमावती,
    • भुवनेश्वरी,
    • त्रिपुर भैरवी,
    • मां काली,
    • तारा देवी,
    • माता छिन्नमस्ता,
    • माता बगलामुखी,
    • माता मातंगी,
    • कमला देवी
    • त्रिपुर सुंदरी