BJP s special issues, Hindutva, nationalism, PM's security in UP elections

चुनाव अभियान के लिए उसके पास एक सुनियोजित तंत्र है।

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    संशाधन और बूथ प्रबंधन में भाजपा दूसरों दलों से बहुत आगे है। चुनाव की घोषणा से बहुत पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी में चुनाव अभियान शुरू कर दिया था और अब वर्चुअल बैठकों और डिजिटल अभियानों का सर्वाधिक लाभ भी भाजपा को मिलेगा।

    चुनाव अभियान के लिए उसके पास एक सुनियोजित तंत्र है। विपक्षी पार्टियों का भाजपा से डिजिटल पहुंच के मामले में, दूर-दूर तक मुकाबला नहीं है। हालांकि कांग्रेस अब उसका मुकाबला करने की कोशिश कर रही है और अखिलेश यादव की टीम में तकनीकी दक्षता वाले कुछ लोग हैं। संसाधनों के मामले में भी भाजपा बेहद समृद्ध पार्टी है और दूसरे राजनीतिक दलों से बहुत आगे है।

    जहां तक उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में संभावनाओं की बात है, तो अभी यह 50-50 है, और कोई नहीं जानता कि राज्य का चुनावी नतीजा क्या होगा। कई कारणों से राज्य के मतदाता योगी आदित्यनाथ सरकार से नाराज बताए जाते हैं। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान राज्य सरकार अपेक्षित कुशलता का परिचय नहीं दे सकी। आज भी हमें ठीक-ठीक मालूम नहीं कि तब राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में कोरोना से कितने लोगों की जान गई। जिन लोगों ने दूसरी लहर में अपने परिजनों को खोया, या जिन्होंने अपने आसपास महामारी का तांडव देखा, वे उसे आसानी से भूल नहीं पाएंगे। आर्थिक कठिनाइयां भी हैं। महंगाई बढ़ रही है। महामारी के कारण अनेक लोगों ने अपने रोजगार खो दिए। ओमिक्रॉन के असर के बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगा, लेकिन प्रदेश में 7 चरणों के मतदान के दौरान संक्रमण बढ़ने के  आसार हैं। 

    चूंकि दूसरे राज्यों की तुलना में भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश का महत्व ज्यादा है, इसलिए प्रधानमंत्री ने सूबे के कई दौरे किए, ईस्टर्न एक्सप्रेस-वे और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर समेत दूसरी कई परियोजनाओं का उद्घाटन किया। पिछले कुछ महीनों में विपक्ष भी उत्तर प्रदेश में काफी सक्रिय दिखा है। पंजाब में पिछले दिनों प्रधानमंत्री के काफिले को एक फ्लाई ओवर पर 20 मिनट रुके रहना पड़ा।

    प्रधानमंत्री की सुरक्षा का मुद्दा उठाकर भाजपा पंजाब में नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश में लाभ उठाने की कोशिश में है, क्योंकि पंजाब में तो उसकी उपस्थिति नगण्य ही है। दरअसल ‘निशाने पर मोदी’ या ‘मोदी की सुरक्षा’ का मुद्दा उत्तर प्रदेश में भाजपा की मदद करेगा।

    पुरानी रणनीति अपनाएगी 

    भाजपा रोजमर्रा के मुद्दे के बजाय मतदाताओं को ध्रुवीकृत करने की अपनी पुरानी रणनीति पर चलेगी। हिंदुत्व, राष्ट्रवाद, राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रधानमंत्री की सुरक्षा उसके लिए मुद्दे हैं। योगी आदित्यनाथ के, जो खुद एक ठाकुर हैं, ठाकुर राज के कारण संभव है कि ब्राह्मण योगी सरकार से नाराज हों। जबकि अखिलेश यादव ब्राह्मणों को लुभाने की कोशिश में हैं। पर हिंदुत्व को मजबूती देने की भाजपा की रणनीति को देखते हुए क्या राज्य के ब्राह्मण भाजपा का विरोध करने के बारे में सोचेंगे? याद रखना चाहिए कि वर्ष 2016 में मोदी ने जब नोटबंदी का फैसला लिया था, तब राज्य का वैश्य समाज उनसे नाराज था। लेकिन 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस समाज के वोट भाजपा की झोली में ही गए।