भविष्य का आहार, पोषण युक्त मिलेट्स

    Loading

    हमने विगत साढ़े 8 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व और मार्गदर्शन में सरकार, किसानों एवं कृषि विज्ञानियों के प्रभावी प्रयासों के बल पर अनाज उत्पादन में सरप्लस की स्थिति को हासिल किया है और आज हमारे अनाज भंडार भरे पड़े हैं. हमारी दूसरी आहार चुनौती है, हर भारतवासी की थाली में पर्याप्त पोषण से युक्त आहार पहुंचाना. पोषक-अनाज यानि मोटे (मिलेट्स) अनाज के उत्पादन एवं उपयोग को बढ़ावा देना इसी रणनीति का हिस्सा है. इसी कड़ी में भारत की अगुवाई में वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष के रूप मनाने की तैयारियां की गई है. इसके माध्यम से पोषक-अनाज (मिलेट्स) को वैश्विक मंच पर लाने की पहल की गई है. पोषक अनाज (मिलेट्स) हमारे भविष्य का आहार है, जो एक साथ कई समस्याओ का हल है. 

    प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर ही संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष (ढ्ढङ्घह्ररू) घोषित किया है. अभी हमारे देश में अनाज के रूप में गेहूं एवं चावल का अधिकाधिक सेवन किया जाता है और इसीलिए अब तक उसके उत्पादन पर ही फोकस रहा है. लेकिन गेहूं एवं चावल की तुलना में मिलेट्स (ज्वार, बाजरा, रागी आदि) बहुत अधिक पोषक अनाज है. वस्तुत: मिलेट्स एक ‘‘स्वदेशी सुपरफूड’’ है, जो प्रोटीन, फाइबर, विटामिन व खनिजों से परिपूर्ण होते हैं. वर्ष 2018 में भारत सरकार द्वारा गेहूं व चावल जैसे प्रचलित भोजन की तुलना में मिलेट्स को उनकी पोषण संबंधी श्रेष्ठता के कारण ‘‘पोषक-अनाज’’ के रूप में अधिसूचित किया गया था. पोषक-अनाज को बढ़ावा देने व मांग सृजन के लिए 2018 को ‘‘राष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष’’ के रूप में मनाया गया था.

    आज आवश्यकता इस बात की है कि मिलेट्स को अपनी थाली का अनिवार्य व्यंजन बनाने की मुहिम को लिए एक जनआंदोलन का रूप दिया जाए. भारत सरकार ने इस दिशा में ढ्ढङ्घह्ररू-2023 के लिए सुनियोजित रणनीति बनाते हुए बाजार, उपभोक्ता और किसान को मिलेट्स के प्रति जागरूक और प्रेरित करने के लिए ठोस कदम उठाना प्रारंभ कर दिए हैं. 

    मिलेट्स न केवल हमारी पोषण व स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करते हैं, अपितु जलवायु परिवर्तन से निपटने, शुष्क व दुर्गम क्षेत्र के लघु एवं सीमांत किसानों के विकास में योगदान करने में भी मदद कर सकते हैं. भारत, मिलेट्स का विश्व में सबसे बड़ा उत्पादक देश है, जो वैश्विक उत्पादन में 18% का योगदान देता है.

    खाद्य प्रणालियों का भविष्य छोटे व सीमांत किसानों की भागीदारी पर बहुत अधिक निर्भर करता है, खासकर जब उत्पादन में विविधीकरण और खाद्य सुरक्षा की बात आती है. भारत में लगभग 86% छोटे किसानों के पास 5 एकड़ से भी कम भूमि है, जो कुल कृषि योग्य भूमि का लगभग 47% है. सरकार ने छोटे किसानों को सशक्त बनाने के लिए अनेक सहायता पहल की हैं, जिनमें इनपुट समर्थन, एफपीओ हस्तक्षेप, डिजिटलीकरण, कृषि अवसंरचना कोष सहित बहुत-कुछ शामिल हैं. 

    सरकार ने मिलेट्स उत्पादन की क्षमता का दोहन करने और उच्च मूल्य वाले घरेलू व अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इसके समन्ऌवय के लिए 21 जिलों में ‘‘एक देश-एक उत्पाद’’ और ‘‘एक जिला-एक उत्पाद’’ के रूप में मिलेट्स को नामित किया है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन कार्यक्रम के तहत, 14 राज्यों के 212 जिलों में मिलेट्स के लिए एनएफएसएम-पोषक अनाज घटक लागू किया जा रहा है. 500 से अधिक स्टार्ट-अप मिलेट मूल्य श्रृंखला में काम कर रहे हैं, कर्नाटक, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, असम सहित पूर्वोत्तर के और बाकी अन्य राज्यों ने मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए पहल की है.

    – नरेंद्र सिंह तोमर (केंद्रीय कृषि मंत्री)