खालिस्तानी गतिविधियां चिंताजनक

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    यह सचमुच चिंताजनक है कि भारत से द्वेष रखनेवाली विदेशी ताकतों के प्रोत्साहन पर खालिस्तान समर्थक पनप रहे हैं. राष्ट्र की एकता-अखंड़ता कायम रखने के लिए जरूरी है किसी भी विषबीज को तत्काल नष्ट कर दिया जाए. इसके लिए युवाओं में राष्ट्रीय भावना भरनी होगी ताकि वे किसी भी अंतरराष्ट्रीय साजिश से सतर्क रहें और बहकावे में न आएं. आपरेशन ब्लू स्टार के कमांडिंग आफिसर रहे लेफ्टिनेंट जनरल कुलदीप सिंह बराड ने इस संबंध में सतर्क करते हुए कहा कि भारत के पंजाब राज्य के अलावा विदेशों में भी खालिस्तान का मूवमेंट फिर से सिर उठा रहा है.

    पश्चिमी देशों के साथ ही पाकिस्तान भी इन लोगों की मदद कर रहा है जो कि तनाव बढ़ानेवाली बात है. ले. जनरल बराड ने कहा कि जब वे ब्रिटेन गए तो वहां कई जगहों पर उन्होंने जरनैलसिंह भिंडरावाले की तस्वीरें देखीं. विदेश में बसे भारतीय खालिस्तान के ज्यादा समर्थक नजर आए. आखिर हमारे डायस्पोरा (प्रवासी भारतीयों) को क्या हुआ है? ले. जनरल बराड का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने जो देखा और महसूस किया, वही बताया है. कनाड़ा की सरकार में अनेक मंत्री खालिस्तान समर्थक हैं. विदेशी धरती पर भारत विरोधी इकट्ठा होते हैं तथा नारेबाजी और प्रदर्शन करते हैं जो कि निहायत आपत्तिजनक है. वहां की सरकार इस पर बंदिश लगाना तो दूर अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर इसे बढ़ावा देती है.

    निश्चित रूप से विदेश में स्थित भारतीय दूतावासों को इस बारे में जानकारी होगी जो उन्होंने भारत सरकार को भेजी होगी. ऐसे दुष्प्रचार वाले आंदोलनों के लिए मोटी रकम लगानेवालों की भी कमी नहीं है. पाकिस्तान तबसे जला-भुना बैठा है जबसे 1971 के युद्ध के बाद पूर्व पाकिस्तान को बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्र राष्ट्र बनाया गया. उसकी बुरी नीयत है कि सिखों का अलग देश खालिस्तान बनाकर भारत को तोड़ा जाए. पंजाब में राष्ट्रविरोधी ताकतों को सुपरकॉप केपीएस गिल ने सख्ती से कुचला था. उसके बाद से कई दशक बीत गए. पंजाब भारत का प्रमुख राज्य है. देश की आजादी के आंदोलन में उसकी विशिष्ट भूमिका रही. लाला लाजपतराय से लेकर शहीदे आजम भगत सिंह का योगदान कौन भूल सकता है!

    प्रथम व द्वितीय विश्वयुद्ध से लेकर पाकिस्तान से हुए विभिन्न युद्धों में पंजाब के जवानों की बहादुरी चर्चित रही है. खालिस्तानी साजिश के तहत युवाओं को गुमराह किया जाना चिंताजनक है. ड्रग तस्करों तथा अवैध रूप से युवाओं को विदेश ले जानेवाले गिरोहों की भूमिका भी इसके पीछे हो सकती है. गुप्तचर एजेंसियों को इस बारे में सतर्क रहना होगा. समय रहते उचित नीति बनाकर इस समस्या से निपटना आवश्यक है. कनाडा, आस्ट्रेलिया और ब्रिटेन की सरकारों से कहा जाए कि वे ऐसे तत्वों को बढ़ावा देने से बाज आएं.