Rahul's statement on Savarkar, there will be a rift in Mahavikas Aghadi

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    महाराष्ट्र की जनभावनाओं को देखते हुए शिवसेना ने सीधे कहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के सावरकर संबंधी विवादास्पद बयान की वजह से अब कांग्रेस के साथ चल पाना मुश्किल है. शिवसेना नेता संजय राऊत ने कहा कि इस मुद्दे से महाविकास आघाडी में दरार आ सकती है. वीर सावरकर पर आरोप न  तो महाराष्ट्र को और न ही शिवसेना को मंजूर है. यह मुद्दा सामने लाने की जरूरत ही नहीं थी. यह बात सचमुच सही है कि इस विषय को उठाना बेमतलब था.

    राहुल बीजेपी और संघ के खिलाफ बोलें तो समझ में आता है लेकिन सावरकर को निशाना बनाने की जरूरत नहीं थी. सावरकर का हिंदुत्व इतना जोशीला और प्रखर था कि संघ भी उसे पचाने में असमर्थ था. सावरकर की आलोचना का इस समय कोई संदर्भ भी नहीं था. इससे भारत जोड़ो यात्रा को लाभ की बजाय नुकसान ही हो सकता है. सावरकर की देश सेवा पर उंगली नहीं उठाई जा सकती. उन्होंने अंदमान-निकोबार के सेल्युलर जेल में कालापानी की सजा भोगी. उन्हें हथकडी-बेडी में जकड़कर इतनी छोटी कोठरी में रखा गया था जहां वे पैर भी नहीं फैला सकते थे.

    कोल्हू चलाकर कोड़े की मार सहते हुए उन्हें ढाई पौंड तेल रोज निकालना पड़ता था. उन्हें किसी से मिलने की इजाजत नहीं थी. सावरकर बैरिस्टर थे. उन्होंने ही जलियांवाला बाग के हत्यारे डायर की लंदन की भरी सभा में हत्या करने के लिए क्रांतिकारी उधम सिंह की मदद की थी. जब सावरकर को बंदी बनाकर ले जाया जा रहा था तब वो जहाज से समुद्र में कूद पड़े थे और तैरते हुए फ्रांस के तट पर पहुंच गए थे. उन्हें शरण देने की बजाय फ्रांसीसी अधिकारियों ने पकड़कर ब्रिटिश पुलिस के हवाले कर दिया था. नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने भी सावरकर से मुलाकात की थी.

    सावरकर क्रांतिकारियों के प्रेरणास्रोत और कवि भी थे. वे सशस्त्र संघर्ष से देश को आजाद कराना चाहते थे. जब महात्मा गांधी के हाथों में नेतृत्व चला गया तो सावरकर ने अपनी कठोर सजा में रियायत की मांग की. ऐसा करने का हर कैदी को अधिकार रहता है. संभवत: सावरकर का जीवनवृत्तांत राहुल गांधी को पता नहीं होगा. कांग्रेस के अहिंसक सत्याग्रह से सावरकर का मार्ग भिन्न था लेकिन उनकी देशभक्ति पर उंगली नहीं उठाई जा सकती. उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राहुल पर पलटवार करते हुए महात्मा गांधी द्वारा लिखे गए एक पत्र को पढ़ने की नसीहत दी और अपने ट्विटर अकाउंट पर उसे शेयर किया.

    महात्मा गांधी ने सावरकर की तारीफ करते हुए उन्हें वीर देशभक्त करार दिया था. इंदिरा गांधी ने भी सावरकर के योगदान को माना था. यदि बीजेपी को सावरकर से इतना ही प्रेम था तो उसकी केंद्र सरकार ने पिछले 8 वर्षों में सावरकर को भारतरत्न क्यों नहीं दिया? अब राहुल गांधी ने सावरकर का मुद्दा उठाकर मामले को व्यर्थ ही भड़का दिया. इससे आघाड़ी में दरार आने की आशंका बढ़ गई है.