The danger of corona is increasing due to the carelessness of the public, the need for an immediate ban on licentiousness

महाराष्ट्र में कोरोना की तीसरी लहर शुरू हो चुकी है.

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    आंख होने पर भी लोग खतरे की अनदेखी करते हैं. अपने अति आत्मविश्वास, बेफिक्री और लापरवाही से अपना और दूसरों का अहित करते हैं. महाराष्ट्र में कोरोना की तीसरी लहर शुरू हो चुकी है. नए मामलों में सिर्फ 1 दिन में 82 प्रतिशत की वृद्धि होना स्पष्ट संकेत है कि संक्रमण कितनी तेज रफ्तार से फैल रहा है. इतने पर भी लगता नहीं कि लोग सतर्क हुए हैं. सड़कों और बाजारों में भीड़ कम होने का नाम नहीं ले रही. कितने ही लोग मास्क नहीं लगाते या सिर्फ गले में लटका लेते हैं. दो गज की दूरी का तो नामोनिशान ही नहीं है. आत्मानुशासन कोई नहीं रखना चाहता. राज्य में कोरोना जिस प्रमाण में बढ़ रहा है, उसे देखकर भी लोगों को होश नहीं आ रहा है. जनता भी स्वच्छंदता से घूम-फिर रही है. ऐसी विकट स्थिति को देखते हुए अविलंब प्रतिबंध लगाना अत्यंत आवश्यक है.

    पिछली लहरों से ज्यादा तेज

    कोरोना की पहली लहर के दौरान मुंबई में 706 मरीजों से 1,367 मरीजों तक पहुंचने में 12 दिन का समय लगा था जबकि दूसरी लहर में 683 से 1,377 मरीज होने में 20 दिन लगे थे लेकिन इस तीसरी लहर में मरीजों का आंकड़ा 683 से 1,377 तक पहुंचने में केवल 4 दिन लगे. संक्रमित और स्वस्थ दोनों को ही अच्छी क्वालिटी का ऐसा मास्क लगाना आवश्यक है जो नाक व मुंह को अच्छी तरह ढक सके. बाहर जाते समय मास्क हमेशा पहनना जरूरी है क्योंकि हवा में कोरोना वायरस के ड्रॉपलेट हो सकते हैं.

    आम और खास में भेद नहीं करता वायरस

    महाराष्ट्र विधान मंडल के शीत सत्र पर कोरोना की काली छाया पड़ी. सिर्फ 5 दिनों के सत्र में 2 मंत्रियों सहित 50 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए. शालेय शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ जो पिछले वर्ष कोरोना संक्रमित हुई थीं, फिर से कोविड-19 पॉजिटिव पाई गईं. एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले व उनके पति सदानंद सुले भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए. इससे पता चलता है कि कोरोना वायरस बड़े-छोटे, आम और खास, धनवान या निर्धन में कोई भेद नहीं करता. यूरोप, अमेरिका जैसे समृद्ध देशों में भी ओमिक्रॉन तेजी से फैल रहा है. मास्क न पहनना, सैनिटाइजर इस्तेमाल नहीं करना और 2 गज की दूरी नहीं बरतना बड़ा महंगा पड़ता है.

    इस बार तैयारी बेहतर

    इतना अवश्य है कि कोरोना की जानलेवा दूसरी लहर से सबक लेकर अब देश में इससे निपटने की तैयारी बेहतर है. अधिक ऑक्सीजन प्लांट बन गए हैं ताकि सप्लाई में कमी न आए. अस्पतालों में बेड की तादाद बढ़ाने के अलावा नए अस्पताल भी खोले गए हैं. इतने पर भी निजी अस्पताल में मरीज को दाखिल करने पर लाखों रुपए की चपत लग जाती है और फिर भी गारंटी नहीं रहती कि वह बचेगा या नहीं. जिसे कोरोना हो गया, उसे अच्छा होने पर भी फेफड़ों की कमजोरी, जोड़ों के दर्द, थकावट आदि से जूझना पड़ता है. रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है. इसलिए समझदारी का तकाजा है कि हर प्रकार से सावधानी बरतते हुए संक्रमण से बचा जाए. जिन लोगों ने अब तक वैक्सीन नहीं लगवाई है, वे इसे अवश्य लगवा लें. लेटनाइट पार्टियां व बाहर डिनर लेना आधुनिकता की पहचान बन गया है. नए वर्ष के स्वागत की धूमधाम भी बहुत महंगी पड़ सकती है, इसलिए हर प्रकार से संयम बरतने में ही समझदारी है. लोग तो मानेंगे नहीं, इसलिए अविलंब सख्ती से प्रतिबंध लगाना अत्यंत आवश्यक है.