Unrest in the Northeast, is there a big conspiracy

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मणिपुर, मेघालय, मिजोरम जैसे पूर्वोत्तर के राज्यों में हिंसा का दावानल फूट पड़ा है. हालात बेकाबू हैं और अराजकता चरम पर है. क्या यह भारत को तोड़ने की सोची-समझी विदेशी साजिश है? वे कौन सी ताकतें हैं जो इस आग को भड़का रही हैं? नार्थ-ईस्ट के तमाम राज्य इसकी चपेट में आते जा रहे हैं. लोगों के सिर पर मौत मंडरा रही है, महिलाएं अत्यंत असुरक्षित हैं और पुलिस बेबस बनी हुई है. कानून व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है. यह देश की एकता व अखंडता के लिए बहुत बड़ी चुनौती है. ऐसा प्रतीत होता है कि भारत की प्रगति से द्वेष रखनेवाली बाहरी ताकतें यह सब करवा रही हैं. इनके बदनुमा चेहरे से परदा हटाना जरूरी है ताकि जनता भी जान जाए कि हमारे राष्ट्र के दुश्मन कौन हैं. इस विषय में चुप्पी साधना या मौन रहना सर्वथा अनुचित है. उपद्रवियों और गद्दारों का भंडाफोड़ करना और उन्हें सख्ती से सबक सिखाना आवश्यक है.

राजनेताओं पर हमले

मणिपुर के इंफाल में केंद्रीय मंत्री आरके रंजन सिंह के स्थानीय आवास पर प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया. उनके आवास पर 2 माह में हुआ यह दूसरा हमला है. एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि मंत्री मणिपुर की स्थिति के बारे में संसद में बोलें, इंटरनेट सेवा बहाल की जाए. हम लोगों को बताना चाहते हैं कि हमारे साथ क्या हो रहा है. इसी तरह मेघालय में मुख्यमंत्री कोनराड संगमा के तुरा स्थित कार्यालय पर भीड़ ने पथराव किया. यह घटना उस समय हुई जब संगमा आंदोलनकारी समूह के साथ अपने ऑफिस में बैठक कर रहे थे. पथराव उन लोगों ने किया जो आंदोलनकारी समूह का हिस्सा नहीं थे. आंदोलनकारी तुरा को शीतकालीन राजधानी बनाने की मांग को लेकर 14 दिनों से अनशन पर थे.

चीन, म्यांमार और बांग्लादेश पर संदेह

मणिपुर की हिंसा में स्नाइपर व अन्य घातक राइफलों से गोलियां दागी गईं. संदेह है कि उपद्रवियों को यह शस्त्र चीन की ओर से मिले हैं. मैतेई पंगाल मुस्लिमों को बांग्लादेश की मदद होने का अनुमान है. म्यांमार की ओर से भी घुसपैठिए आए हैं. मणिपुर में 3 मई से जारी हिंसा रुकने का नाम ही नहीं ले रही है. गैर आदिवासी मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिलाने के लिए मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा था कि मैतेई समुदाय की मांग की सिफारिश केंद्र को भेजे. इससे राज्य के आदिवासियों को लगने लगा कि उन्हें जो आरक्षण का लाभ मिल रहा है, उसमें बहुत कमी आ जाएगी. 3 मई को ऑल ट्राइबल स्टुडेंट्स यूनियन मणिपुर ने आदिवासी एकता मार्च निकाला. इसके बाद से राज्य में हिंसा भड़क उठी, जो अब तक नहीं रुकी. 170 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. 4 मई को महिलाओं की नग्न परेड और हत्या की घटना का वीडियो बहुत बाद में सामने आया. आरोपियों ने इस वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर किया था. इस कांड के मुख्य आरोपी हेरा दास को गिरफ्तार कर लिया गया है. मिजोरम में मैतेई समुदाय के लोग घर-बार छोड़कर जान बचाने के लिए भागने को मजबूर हैं और असम के कछार जिले की ओर जा रहे हैं. हालात अत्यधिक तनावपूर्ण हैं. संसद के दोनों सदनों में मणिपुर के साथ ही नार्थ ईस्ट की अराजक स्थिति पर संवेदनशील और जिम्मेदारी भरी बहस होनी चाहिए क्योंकि पूर्वोत्तर में असंतोष रहेगा तो इसके दूरगामी भयावह परिणाम हो सकते हैं. जब विपक्ष इतना जोर दे रहा है तो पीएम मोदी को भी मणिपुर पर अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए, ताकि राज्य में शांति और भाईचारे के प्रयास तेज हो सकें.