ममता के मन में क्या है? रात 2 बजे विधानसभा सत्र क्यों?

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    जब रात में विमान उड़ते हैं, ट्रेन और यात्री बसें चलती हैं, अखबार छपते हैं तो विधानसभा सत्र क्यों नहीं हो सकता? बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने 7 मार्च को देर रात 2 बजे विधानसभा सत्र आमंत्रित किया है. इसे कोई राज्यपाल की सनक नहीं कह सकता क्योंकि उन्होंने राज्य मंत्रिमंडल की सिफारिश को स्वीकार करते हुए आधी रात के बाद सेशन बुलाने का निर्णय लिया. यह असामान्य है लेकिन संविधान के अनुच्छेद 174 (1) के तहत गवर्नर ने यह फैसला किया. इससे बंगाल में इतिहास रच जाएगा, जब रात 2 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होगी जो संभवत: सुबह होने तक चल सकती है.

    इतिहास बनाने के लिए दिन की बजाय रात को अहमियत दी जाती है. भारत को आजादी आधी रात को मिली थी, जिसके बारे में डोमिनीक लापिएर और लैरी कॉलिन्स ने  ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ पुस्तक लिखी है. उसी आधी रात को प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अपना प्रसिद्ध भाषण ट्रायस्ट विद डेस्टिनी (भाग्य के साथ शर्त) दिया था.

    इंदिरा गांधी भी प्रधानमंत्री रहते हुए आधी रात को मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर महत्वपूर्ण निर्णय लिया करती थीं. बैंक राष्ट्रीयकरण, राजाओं के प्रिवीपर्स बंद करने और इमर्जेन्सी लगाने जैसे फैसले आधी रात में ही हुए थे. अपवाद सिर्फ मोरारजी देसाई की जनता पार्टी सरकार का था, जो रात 9 बजे सो जाया करती थी. पत्रकार भी निश्चिंत रहते थे कि रात में इस सरकार की ओर से कोई खबर नहीं आएगी जिसके लिए जगह बनानी पड़े.

    नींद खराब करने का क्या मतलब

    समझ पाना कठिन है कि बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की मर्जी रात 2 बजे सत्र बुलाने की क्यों हुई? निशाचरी बेला में निशा सत्र रखने का कौन सा कारण हो सकता है? ममता ने सोचा होगा कि जब लोग रात में क्लब या पार्टियां अटेंड कर सकते हैं तो विधायक भी असेम्बली के सेशन में मजे से आ सकते हैं. रात में वैसे भी घर में करेंगे क्या! चादर ओढ़कर बिस्तर पर लंबी तान देंगे. कोई यह बहाना नहीं कर सकता कि  रात में सेशन रखने से हमारी नींद हराम हो जाएगी.

    विधायक दिन में सोकर रात में असेम्बली आ सकते हैं. जिन्हें सोने की आदत है, वे तो संसद व विधानसभा में बैठे-बैठे ही सोते पाए गए हैं. पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा सदन में ही आंख मूंदकर सो जाते थे. मध्यप्रदेश के एक पूर्व सीएम के साथ भी ऐसी ही समस्या थी. कितने ही लेखक और कवि रात के शांत माहौल में अपनी रचनाएं लिखा करते हैं. फिल्मों की शूटिंग और सितारों की पार्टियां रात में ही होती हैं. एक गीत भी लिखा गया है- चार बज गए हैं, पार्टी अभी बाकी है!

    क्या मोदी की नकल की जा रही है?

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अहम व ऐतिहासिक फैसलों के लिए रात्रि की बेला ही चुनी. नोटबंदी का फैसला रात में लिया गया. जीएसटी (जिसे कि राहुल गांधी गब्बर सिंह टैक्स कहते हैं) लागू करने का फैसला भी प्रधानमंत्री मोदी ने आधी रात को संसद का सत्र बुलाकर घोषित किया. उसे 15 अगस्त 1947 के समान ऐतिहासिक मिडनाइट सेशन दिखाने के उद्देश्य से पीएम ने ऐसा किया. ममता बनर्जी का कदम क्या होगा, इसे लेकर उत्सुकता है.

    ऐसा कौन सा फैसला है जो वे दिन में नहीं ले सकतीं और जिसके लिए रात के 2 बजने का इंतजार करना होगा? कम से कम बंगाल का मीडिया उसका कवरेज जरूर करेगा. वहां का टीवी चैनल रात 2-3 बजे ब्रेकिंग न्यूज देगा और अखबार लेट एडीशन निकालेंगे. वैसे भी पत्रकारों को 24×7 अलर्ट रहना पड़ता है. अनुमान लगाया जा सकता है कि क्या ममता इस मिडनाइट सत्र में 2024 के लिए अपनी पीएम पद की दावेदारी घोषित करेंगी या उस समय तक बन जानेवाले संयुक्त विपक्ष के गठबंधन का एलान करेंगी जो कि बीजेपी से सीधी टक्कर लेगा?