उपभोग बुरी तरह घटा आर्थिक संकट से उबरने में समय लगेगा

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इस उम्मीद पर पानी फिर गया कि वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था (Economy)में तेजी से सुधार होगा. देश के अनेक राज्यों ने जुलाई-अगस्त में लॉकडाउन विस्तारित कर दिया और आर्थिक गतिविधियां बंद कर दीं. इसका असर इकोनामी पर पड़ना स्वाभाविक है. भारतीय रिजर्व बैंक(Reserve Bank of India) (RBI) ने 2019-20 (जुलाई-जून) की वार्षिक रिपोर्ट में स्वीकार किया कि कोरोना संकट (Coronavirus)की वजह से आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं जिससे प्रोडक्शन और सप्लाई चेन बुरी तरह प्रभावित हुई है. अर्थव्यवस्था के पुनरुत्थान में काफी समय लगेगा. उपभोग पर अत्यंत विपरीत असर पड़ा है. जो सर्वाधिक गरीब लोग हैं उन्हें भयानक आघात पहुंचा है. निजी क्षेत्र में उपभोग बढ़ने पर ही अर्थव्यवस्था सुधार की ओर बढ़ सकती है.

पर्यटन, रीयल एस्टेट, ट्रांसपोर्ट सेवाओं, हास्पिटैलिटी, रिक्रिएशन के अलावा सांस्कृतिक क्षेत्र की गतिविधियों में उपभोग हतोत्साहित हुआ है. अभी लोगों का ध्यान अपने सीमित साधनों से खाद्य सामग्री की खरीद व मकान किराए तक ही है जिसके बगैर वे रह नहीं सकते. जब उनकी आय बढ़ेगी तो वे मनोरंजन व छुट्टी बिताने जैसी बातों पर पैसा खर्च कर सकेंगे. रिजर्व बैंक ने उद्योगों में छंटनी पर भी चिंता जताई. रेटिंग एजेंसियों और विशेषज्ञों ने लॉकडाउन की वजह से 2020-21 की प्रथम तिमाही में जीडीपी में 20 प्रतिशत तक सिकुड़न की संभावना जताई है. रिजर्व बैंक ने कहा कि कोरोना संकट के दौरान सफेदपोश कर्मचारी तो घर बैठे काम कर सकते हैं लेकिन आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों को कार्यस्थल पर जाना ही पड़ता है जिन्हें संक्रमण का खतरा बना रहता है. गरीबों का हाल बेहाल है. शहरी उपभोग बुरी तरह घटा है. 2020-21 में कारों की बिक्री व कंज्यूमर ड्यूरेबल सामग्री की आपूर्ति क्रमश: 5वें और तीसरे स्थान पर पहुंच गई है.

हवाई सेवाएं ठप होने से एविएशन सेक्टर पर बेहद बुरा असर पड़ा है. 2019-20 में कुल ग्रास इनकम 1.50 लाख करोड़ रुपए रही है जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में वह 1.95 लाख करोड़ रुपए थी. इस रिपोर्ट में निवेश बढ़ाने और आर्थिक सुधारों पर जोर दिया गया है. ढांचागत सुधार सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए. सरकारी व निजी खपत बढ़ने से अर्थव्यवस्था में रिकवरी आएगी. रिजर्व बैंक ने यह भी कहा कि सरकार ने गत वर्ष सितंबर में कारपोरेट टैक्स में भारी रियायत दी थी लेकिन इससे निवेश का चक्र पुन: चलाने में मदद नहीं मिल पाई. कंपनियों ने इसका इस्तेमाल अपने कर्ज चुकाने और नकदी जमा करने के लिए किया. रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए लक्ष्यगत सार्वजनिक निवेश तथा प्रमुख एयरपोर्ट के निजीकरण का सुझाव दिया.