अर्थव्यवस्था को बूस्टर डोज जरूरी

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    यद्यपि लगातार तीसरे सप्ताह आर्थिक गतिविधियों में सकारात्मक हलचल दिखाई दी लेकिन सिर्फ इतने से संतुष्ट नहीं होना चाहिए. अर्थव्यवस्था अभी स्थायी रूप से पुनर्जीवित होने की दिशा में संघर्ष कर रही है. विकास में कमी और महंगाई में वृद्धि से अर्थव्यवस्था पर खतरा मंडरा रहा है. 13 जून को समाप्त सप्ताह में बेरोजगारी दर 8.7 प्रतिशत बनी हुई है. यद्यपि यह दर विगत सप्ताहों में रिकार्ड की गई 13.6 प्रतिशत की दर से कम है लेकिन फिर भी श्रम बाजार कमजोर बना हुआ है.

    यदि महंगाई में कमी नहीं आई तो रिजर्व बैंक के पास मौद्रिक नीति व दरों में कटौती के लिए ज्यादा गुंजाइश नहीं रह जाएगी. महंगाई घटाने के उद्देश्य से केंद्र और राज्य सरकारों से पेट्रोल-डीजल पर टैक्स घटाने की मांग की जा रही है. जब तक उपभोक्ताओं की मांग नहीं बढ़ेगी, अर्थव्यवस्था का पुनरुद्धार नहीं हो पाएगा. अर्थव्यवस्था को सरकार की ओर से प्रोत्साहन भरे अनुकूल कदमों या बूस्टर डोज की जरूरत है. लोगों की क्रयशक्ति बढ़ाए बिना मांग नहीं बढ़ेगी. इसलिए इस दिशा में कदम उठाने होंगे. कोरोना के मामले घटने लगे हैं. लॉकडाउन में शिथिलता से भी बाजार संभलेगा. नोमूरा इंडिया बिजनेस रिजम्पशन इंडेक्स में 13 जून को समाप्त सप्ताह में 8.1 प्रतिशत का उछाल आना उत्साहवर्धक माना जा रहा है.