राज्य में 24,00,000 फर्जी छात्र, शिक्षा क्षेत्र में सक्रिय बहुत बड़ा रैकेट

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    शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र में इतना बड़ा भ्रष्टाचार होगा इसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. कितने ही राजनेता, उनके रिश्तेदार अथवा उनसे निकट संबंध रखनेवाले लोग निजी स्कूल खोलने की अनुमति हासिल कर लेते हैं. इसका उद्देश्य शिक्षा का प्रचार-प्रसार न होकर भरपूर कमाई करना होता है. कुछ नामी निजी स्कूलों को अपवाद स्वरुप छोड़ भी दें तो बाकी में शिक्षा का स्तर बेहद घटिया होता है. 

    सरकार से ग्रैंट पाने के लिए हर तरह की तिकड़म की जाती है. स्कूल में छात्रों की ज्यादा तादाद बताकर तरह-तरह की रियायतें ली जाते हैं. अल्पसंख्यक, पिछड़े वर्ग के तथा आर्थिक दृष्टि से वंचित छात्रों की संख्या ज्यादा दिखाते हुए सरकार से अनुदान लिया जाता है. नियमित शिक्षक भी पर्याप्त संख्या में नहीं रखे जाते. अब शिक्षा क्षेत्र में व्याप्त इस फर्जीवाड़े का चौंकानेवाला खुलासा हुआ है. 

    बाम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ में बीड जिले के बृजमोहन मिश्रा ने वकील सचिन देशमुख के माध्यम से जनहित याचिका दायर की है जिसमें दावा किया गया है कि राज्य में अनुमानित 24,00,000 छात्र फर्जी हैं. न्यायमूर्ति एसवी गंगापुरवाला और आरएन लड्ढा की पीठ ने राज्य सरकार को आधार कार्ड से जुड़े छात्रों की जानकारी जमा करने का निर्देश दिया है. इस याचिका पर अगली सुनवाई 9 दिसंबर को होगी.

    स्कूल-कालेज खोलने की अनुमति हासिल कर कितने ही लोग अपने क्षेत्र में शिक्षा महर्षि कहलाने लगे लेकिन यह एक बड़ा बिजनेस है जिसमें कमाई ही कमाई है. कितने ही निजी स्कूल जीर्णशीर्ण इमारतों में बगैर पर्याप्त छात्रों के चल रहे हैं. शिक्षकों से भी अधिक रकम पर दस्तखत लेकर कम वेतन दिया जाता है. परिवार के ही कुछ लोगों को टीचर बताकर बोगस नियुक्तियां की जाती हैं. 

    शिक्षा विभाग को भी ऐसी धांधली की जानकारी रहती है लेकिन आपस में हाथ मिले रहने से वह कोई एक्शन नहीं लेता. यूपी में तो एक ही शिक्षक के कई स्कूलों से वेतन उठाने के मामले सामने आने पर बायोमीट्रिक हाजिरी और आधार कार्ड से शिनाख्त शुरू कर दी तो फर्जीवाडा सामने आया था. आश्चर्य की बात है कि महाराष्ट्र में भी 24 लाख छात्र फर्जी हैं और शिक्षा विभाग धृतराष्ट्र बना बैठा है.