editorial Maharashtra-government-on-st-could-not-include-dhangar-community-in-st

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    धनगर समाज को अनुसूचित जनजाति के रूप में आरक्षण देने का मुद्दा विफल हो गया. इसे लेकर सांसद डा. विकास महात्मे लगातार काफी जोर दे रहे थे. पिछले 6-8 वर्षों से इस वर्ग को आरक्षण के आश्वासनों का लॉलीपाप दिया जा रहा था लेकिन अब महाराष्ट्र सरकार ने धनगर समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल करने में अपनी असमर्थता दिखाई है. यह कहा गया कि कोर्ट के आदेश की वजह से सरकार के हाथ बंधे हुए हैं. हाल ही में हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट में बताया गया कि इस समुदाय को एसटी में शामिल करने में दिक्कतें आ रही हैं.

    महाराष्ट्र अहिल्याबाई समाज प्रबोधिनी मंच तथा भारत अगेंस्ट करप्शन के अलावा 2 अन्य याचिकाएं हाईकोर्ट में दायर की गई हैं. याचिकाओं में मांग की गई कि धनगड़ अर्थात धनगर घोषित किया जाए. धनगर समाज को घुमंतु जनजाति (नोमैडिक ट्राइब) का आरक्षण दिए बिना अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जाए. इन याचिकाओं का विरोध करनेवाली याचिका वनवासी कल्याण आश्रम की ओर से एडवोकेट गार्गी वारूंजीकर ने दाखिल की. इन सभी याचिकाओं को एकत्रित कर उनकी सुनवाई न्यायमूर्ति एसवी गंगापुरवाला व न्या. आरएन लड्ढा की पीठ के सम्मुख जारी है.

    हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ के फैसले के मुताबिक स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है. अभी राज्य में धनगर समाज को विमुक्त-एनटी (क) प्रवर्ग में 3.5 प्रतिशत आरक्षण है. अनुसूचित जनजाति की सूची में धनगड़ और धनगर दोनों ही शब्द एक हैं लेकिन अंग्रेजी में ‘आर’ की बजाय ‘डी’ अक्षर का उपयोग किया गया है. वकील अनिल साखरे की दलील का संज्ञान लेते हुए पीठ ने याचिका की सुनवाई 26 सितंबर को तय की है. राज्य सरकार ने तो अपनी असमर्थता जता दी. अब अगली सुनवाई में केंद्र सरकार अपना पक्ष रखेगी.