पाइलिंग टेस्ट विफल राम मंदिर के 1000 वर्ष की गारंटी नहीं

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आस्था कितनी भी गहन हो लेकिन किसी भी वास्तु निर्माण के लिए बुनियाद की मजबूती महत्व रखती है. अयोध्या में बनने वाले भव्य राम मंदिर (Ayodhya Ram temple) के लिए जब पाइलिंग टेस्ट किया गया तो विफल रहा. भूगर्भ में मोटी बीम या स्तंभ डालकर परखा जाता है कि यह मजबूती से सीधा टिक पाता है या नहीं. काफी गहराई तक खुदाई करने के बाद भी वहां की जमीन रेतीली ही पाई गई और चट्टान व कठोर मिट्टी की सतह नहीं मिल पाई.

ऐसे में नींव को वैसी मजबूती नहीं मिल सकती कि निर्माण के बाद मंदिर 1000 वर्ष तक टिका रहे. इसकी वजह यह है कि रामजन्म भूमि पर जहां मंदिर निर्माण होने वाला है, वहां पहले सरयू नदी बहा करती थी इसलिए वहां खुदाई में रेत ही रेत मिल रही है. बाद में सरयू ने अपना प्रवाह बदल लिया. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय (Champat Rai) ने कहा कि देश भर के भवन निर्माण विशेषज्ञों ने राम मंदिर के लिए हजार वर्ष की लिखित गारंटी देने से मना कर दिया. मंदिर के लिए बनाई गई टेस्ट पाइलिंग पहले ही फेल हो चुकी है. टेस्ट पिलर पर लोड डालने के बाद जैसे ही मजबूती परखने के लिए भूकंप जैसे झटके दिए गए, उसमें दरारें आ गईं और वे लचक गए. जब पिलर ही मजबूत नहीं होंगे तो निर्माण कैसे सदियों तक टिक पाएगा? चंपत राय ने बताया कि मंदिर की 1000 वर्ष आयु कोरी कल्पना है. यदि 300-400 वर्ष की गारंटी भी मिल जाए तो हम निर्माण के लिए सहमत हैं. उन्होंने यह भी कहा कि मंदिर की आयु बढ़ाने के लिए सीमेंट में अभ्रक व कोयले के साथ कुछ अन्य केमिकल मिलाने पर विचार चल रहा है. भारत में आज भी सदियों पुराने मंदिर, महल व किले मौजूद हैं लेकिन उनकी स्थापत्य शैली अलग प्रकार की थी.

जहां जमीन रेतीली और भुरभुरी हो, वहां मजबूत नींव कैसे डाली जा सकेगी? खजुराहो के मंदिर 10वी शताब्दी में चंदेल वंश के समय बने थे. ओडिशा का कोणार्क सूर्य मंदिर भी अत्यंत प्राचीन है. दक्षिण भारत के मंदिर भी सदियों पुराने हैं. प्राचीन निर्माण कला भार आधारित (लोड बेयरिंग) थी लेकिन अब आधुनिक निर्माण कार्य आरसीसी (रिइनफोर्स्ड सीमेंट कांक्रीट) पद्धति से होने लगा है. विश्व में जहां भी स्वामीनारायण मंदिर बने हैं, वहां धातु का इस्तेमाल न कर पत्थर से पत्थर को जोड़कर मंदिर बनाए गए हैं. ऐसे नक्काशीदार भव्य अक्षरधाम मंदिर गुजरात में वडोदरा के पास तथा दिल्ली, नागपुर तथा लंदन व अमेरिका में भी हैं. अयोध्या के भव्य राम मंदिर में भी पत्थर से पत्थर जोड़े जाएंगे तथा लोहे का इस्तेमाल नहीं होगा लेकिन पाइलिंग टेस्ट में विफलता से दिक्कत आ गई. अब विशेषज्ञों को इस समस्या का कारगर हल खोजना होगा. जापान में कभी लकड़ी के घर बना करते थे, आज वहां गगनचुंबी इमारतें हैं जिनका भूकंप कुछ नहीं बिगाड़ पाता. अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की राय भी ली जाए. विज्ञान में चुनौती का हल अवश्य होगा.