सावरकर के पौत्र का बेतुका दावा, गोडसे नहीं तो फिर कौन था बापू का हत्यारा?

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जो स्थापित सत्य है, उसे क्यों झुठलाया जाना चाहिए? सभी जानते हैं कि नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse) ही महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का हत्यारा था. ट्रायल कोर्ट के जज अच्छूराम, हाईकोर्ट जज जीडी खोसला सभी ने इस तथ्य को स्वीकार किया था. गांधी हत्या की साजिश में नाथूराम गोडसे के अलावा उसके भाई गोपाल गोडसे, नारायण आप्टे, विष्णु करकरे, शंकर किस्तैया, दिगंबर बड़गे, विनायक दामोदर सावरकर, मदनलाल पाहवा जैसे 8 लोगों को आरोपी बनाया गया था. बड़गे को सरकारी गवाह बनने के कारण बरी कर दिया गया. शंकर किस्तैया को हाईकोर्ट में अपील करने पर माफ कर दिया गया तथा सावरकर के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलने से उन्हें मुक्त कर दिया गया. 

बचे हुए 5 अभियुक्तों में से 3 गोपाल गोडसे, मदनलाल पाहवा और विष्णु रामकृष्ण करकरे को आजीवन कारावास हुआ जबकि नाथूराम गोडसे व नारायण आप्टे को फांसी दे दी गई थी. अब गांधी हत्या के 76 वर्ष बाद वीर सावरकर के पौत्र रणजीत सावरकर ने दावा किया कि महात्मा गांधी की मौत नाथूराम गोडसे की पिस्तौल से चली गोली से नहीं हुई थी. 

गोडसे की पिस्तौल की गोली का आकार अलग था. पुलिस ने ठीक से जांच नहीं की थी और फर्जी पंचनामा बनाया था. इस मामले में दबे सबूतों को सामने लाने के लिए एक और कमीशन गठित किया जाना चाहिए. रणजीत सावरकर ने बापू की हत्या के 20 वर्ष बाद बनाए गए कपूर कमीशन की रिपोर्ट का अध्ययन करने का दावा किया. रणजीत का यह दावा भी बेतुका है कि गांधी की हत्या से नेहरू परिवार को फायदा हुआ. बापू ने खुद ही नेहरू को प्रधानमंत्री बनवा दिया था. इसलिए गांधी हत्या से नेहरू को फायदा होने की बात बेबुनियाद है.

 30 जनवरी 1948 की शाम जब महात्मा गांधी बिडला मंदिर के प्रांगण में प्रार्थना सभा के लिए जा रहे थे तभी नाथूराम गोडसे ने उनके चरण छूने का अभिनय करते हुए आगे बढ़कर अपनी बैरेटा पिस्तौल से 3 गोलियां दाग दी थीं. अब इस तथ्य को तोड़ने-मरोड़ने का क्या प्रयोजन है? क्या रणजीत सावरकर का उद्देश्य नाथूराम गोडसे को निर्दोष साबित करना है? यदि गोडसे हत्यारा नहीं था तो फिर किसने गोली चलाई थी?