आईएएस अफसर कोई नवाब, जागीरदार या तुर्रम खां नहीं होते जो हर बात में अपनी मर्जी चला सकें! उन्हें कानून के मुताबिक चलना होता है और किसी भी तरह की गैरकानूनी हरकत करने का उन्हें कोई अधिकार नहीं है. आईएएस दंपति संजीव खिरवार और अनु दुग्गा भूल गए कि वे पब्लिक सर्वेंट हैं और उनके अधिकार के साथ दायित्व भी जुड़े हुए हैं. खिरवार और उनकी पत्नी ने दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में सुविधाओं का दुरुपयोग किया. दिल्ली सरकार द्वारा संचालित इस स्टेडियम में खेल गतिविधियों को सामान्य समय से पहले बंद कर दिया जाता था ताकि खिरवार दंपति वहां अपने कुत्ते को घुमा सकें.
स्टेडियम को जल्दी खाली करने का निर्देश दिए जाने पर एथलीटों को वहां से बाहर निकलना पड़ता था. स्टेडियम के खाली ट्रैक पर कुत्ते को टहलाते हुए आईएएस दंपति की फोटो वायरल होने तथा एक अखबार में रिपोर्ट छपने के बाद ‘आप’ सरकार ने निर्देश जारी किया कि स्टेडियम में सभी खेल सुविधाएं रात 10 बजे तक खुली रहेंगी ताकि एथलीटों को किसी भी प्रकार की दिक्कत न हो. आईएएस दंपति द्वारा स्टेडियम में कुत्ते को टहलाने की खबर के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मुख्य सचिव से रिपोर्ट मांगी.
तथ्यात्मक रिपोर्ट मिलने के बाद गृह मंत्रालय ने सख्ती दिखाते हुए संजीव खिरवार का तबादला लद्दाख और उनकी पत्नी अनु दुग्गा का स्थानांतरण अरुणाचल प्रदेश कर दिया. इस तबादले को सजा के तौर पर देखा जा रहा है. अब तक पति-पत्नी एक साथ दिल्ली में थे लेकिन अब उन्हें अलग-अलग राज्यों में एक दूसरे से दूर रहना पड़ेगा. ‘कुत्ता प्रेम’ और पद का घमंड उन्हें भारी पड़ गया.
केंद्र ने इस कदम से दिखा दिया कि अनुशासन सर्वोपरि है तथा अधिकारियों को मनमानी करने का कोई अधिकार नहीं है. दूसरी ओर इसमें राजनीति भी आ गई. टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि अरुणाचल कचरे का डब्बा नहीं है कि गृह मंत्रालय किसी को सजा देने के नाम पर यहां ट्रांसफर कर दे! खिरवार के तबादले पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा कि लद्दाख एक खूबसूरत जगह है. यहां ट्रांसफर को सजा के तौर पर क्यों देखा जाना चाहिए?