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आरक्षण की मांग को लेकर हुए राज्यव्यापी मराठा आंदोलन (Maratha Protest) के बाद महाविकास आघाड़ी सरकार ने इस समुदाय को एक बड़ी राहत दी है. यद्यपि सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए वर्ग (एसईबीसी) के कोटे से संबंधित मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के सम्मुख जारी है लेकिन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर तबका (ईडब्ल्यूएस) (Economically Weaker Sections)(EWS), में मराठा समुदाय को शिक्षा व नौकरी में 10 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा कर दी. किसी अन्य सामाजिक आरक्षण के दायरे में नहीं आने वाले लोगों के लिए ईडब्ल्यूएस के तहत 10 प्रतिशत आरक्षण (10% EWS Quota) तय किया गया है.

इसे सरकार की ओर से मराठा समुदाय के लिए नववर्ष का तोहफा माना जा रहा है. यह ईडब्ल्यूएस लाभ 2020-21 वर्ष के लिए लागू माने जाएंगे. सरकार के जीआर के बाद सीईटी सेल ने सभी पेशेवर पाठ्यक्रमों के लिए तारीख बढ़ाने की घोषणा कर दी है. सरकार ने कहा कि मराठा समुदाय के जो उम्मीदवार आय संबंधी शर्त पूरी करते हैं, वे ईडब्ल्यूएस कोटा के पात्र होंगे. सरकार ने सभी जिला प्रशासकों को ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र जारी करने के लिए अभियान चलाने हेतु स्पेशल सेल गठित करने का आदेश दिया है. सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि जो मराठा उम्मीदवार अभी ईडब्ल्यूएस कोटे का लाभ लेंगे, वे आगे चलकर यदि सुप्रीम कोर्ट ने एसईबीसी या मराठा आरक्षण के पक्ष में निर्णय दिया तो उसका लाभ हासिल करने के लिए अयोग्य होंगे.

पाठ्यक्रमों के लिए रजिस्ट्रेशन की तारीख बढ़ाई जाएगी

सभी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए रजिस्ट्रेशन की तारीख 1-2 दिन में खत्म होने वाली थी लेकिन जीआर आने से यह तारीख आगे बढ़ाई जाएगी ताकि मराठा उम्मीदवार ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत आवेदन कर सकें. इतने पर भी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या एमबीबीएस व बीडीएस के एडमिशन में कोई व्यवधान डाला जाएगा? इन दोनों पाठ्यक्रमों के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया दिसंबर में शुरू हुई थी और अब लगभग समाप्ति पर आ गई है.

संभाजी राजे का विरोध

बीजेपी सांसद छत्रपति संभाजी राजे ने ईडब्ल्यूएस लाभ दिए जाने का विरोध किया और कहा कि इसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट में एसईबीसी का केस प्रभावित होगा. उन्होंने कहा कि जिस तरह सुको में एसईबीसी केस संभाला जा रहा है, उसे लेकर मराठा समुदाय की महाविकास आघाड़ी सरकार के प्रति नाराजगी है. सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 25 जनवरी को होगी. इस संबंध में पिछले जीआर को वापस लेने की मांग को लेकर अदालत में याचिका दायर करने वाले संजय लाखे पाटिल ने कहा कि सरकार ने जीआर में 2020-21 शैक्षणिक वर्ष लिखा है लेकिन यदि एक भी योग्य मराठा छात्र को ईडब्ल्यूएस का लाभ नहीं मिल पाता तो यह अनुचित होगा. सरकार को अपना जीआर पूरी तरह लागू करना चाहिए. हर किसी को मौका देने के लिए योग्यता परीक्षण नए सिरे से किया जाए. बाम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि मराठा समाज के पात्र उम्मीदवारों व विद्यार्थियों को आर्थिक दृष्टि से कमजोर घटक (ईडब्ल्यूएस) को 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ लेने के लिए प्रमाणपत्र क्यों नहीं दिए जा रहे हैं? इस संबंध में राज्य सरकार को प्रतिज्ञापत्र प्रस्तुत करने का निर्देश न्यायमूर्ति केके तातेड व न्यायमूर्ति नितिन बोरकर की खंडपीठ ने दिया. इस मामले की अगली सुनवाई 18 जनवरी को होगी. अब राज्य सरकार ने मराठा समाज को ईडब्ल्यूएस आरक्षण देने का निर्णय ले लिया है तो उसे इस बारे में कोर्ट में प्रतिज्ञापत्र देना होगा.

लाभ लेना ऐच्छिक है

सरकार ने स्पष्ट किया कि सामाजिक व शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े हुए वर्ग के उम्मीदवारों को खुले प्रवर्ग (ओपन कैटेगरी) या आर्थिक दृष्टि से पिछड़े वर्ग के लिए निर्धारित आरक्षण का लाभ लेना ऐच्छिक है. आर्थिक लिहाज से कमजोर घटक के लिए प्रमाणपत्र देते समय एसईबीसी उम्मीदवारों के लिए पिछले आर्थिक वर्ष की आय व संपत्ति के आधार पर राज्य सरकार द्वारा निर्धारित मानदंड लगाए जाएंगे. सरकार ने स्पष्ट किया कि यह आदेश सुप्रीम कोर्ट में दाखिल विशेष अनुमति याचिका तथा अन्य याचिकाओं के निर्णय के अधीन रहेगा.