देश-विदेश के नेताओं में बस यही फर्क, सिर्फ इतनी सी चोरी के लिए इस्तीफा…!

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पड़ोसी सुबह से ही पेट पकड़ पकड़कर जोर-जोर से हंस रहा था. कई बार रोकने की कोशिश नाकाम रही. रोकने की कोशिश में उसकी हंसी बढ़ती ही जा रही थी. एकबारगी लगा कि हंसी रोकने के लिए लगाएं दो थप्पड़, लेकिन खुद को रोक लिया. 

हमने झुंझलाकर पूछा, “कौन से स्टैंडअप कॉमेडियन का शो देख लिए हो?” 

पड़ोसी ने कहा, ”निशानेबाज, जरा न्यूजीलैंड की महिला सांसद गोलरिज घरमन को देखो. एक बुटीक से छोटी सी चोरी करने के बाद सांसदी से इस्तीफा दे दिया.” 

हमने कहा, “वो महिला है, महिलाओं में स्वाभिमान ज्यादा होता है. उस पर से वह मूल रूप से ईरान की रहने वाली है और शरणार्थी के रूप में न्यूजीलैंड आई है. वैसे ही ईरानी महिलाएं अपने अधिकारों के लिए जिस तरह सजग होती हैं, उसी तरह जिम्मेदारियों के प्रति भी जागरूक रहती हैं. मतदाताओं के प्रति अपने नैतिक दायित्व के कारण ही उन्होंने अपना इस्तीफा दिया. इसमें हंसी उड़ाने की क्या बात है?”

 पड़ोसी ने कहा, “निशानेबाज, लेकिन भला कोई इतनी छोटी सी चोरी के लिए इस्तीफा देता है? अपने यहां देखो, नेता लोग बड़े-बड़े घोटाले करते हैं और उसके साथ- साथ तरक्की भी करते जाते हैं.” 

हमने कहा, “यही अंतर है देश-विदेश के नेताओं में! वहां चोरी छोटी-बड़ी नहीं होती और घोटालों में अपना-पराया नहीं देखा जाता. वहां नैतिकता की बात होती है. बचपन से ही चरित्रवान बनना सिखाया जाता है.” 

पड़ोसी ने कहा, “निशानेबाज, क्या विदेशी नेताओं को करप्शन की स्पेशल ट्रेनिंग देने के लिए अपने देश का दौरा करना चाहिए?”

 हमने कहा, “इससे भी आसान तरीका एक और है. अपने जो नेतागण घोटाला एक्सपर्ट हैं, उनको बारी- बारी से दुनिया की अलग-अलग सांसदों में लेक्चर और ट्रेनिंग के लिए भेज दिया जाए. वे सभी को ट्रेनिंग दे देंगे. जिसको एक्सपर्ट बनना होगा, वह उनका चेला बन जाएगा.” 

पड़ोसी बोला, “निशानेबाज, इससे भारत का क्या फायदा होगा?”

हमने कहा, “हर बात में फायदा नहीं देखा जाता. इससे दुनिया में बेईमानी बढ़ जाएगी और भ्रष्टाचार तथा रिश्वतखोरी की ग्लोबल रैंकिंग हमारी सुधर जाएगी. यही अमृतकाल है. अपना मत बनाओ, दूसरे का बिगाड़ दो !”