nishanebaaz-This has always been the policy of Russia, brotherhood first, friendship later.

Loading

पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का मास्को में रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने शानदार स्वागत किया. आप कह सकते हैं कि दोनों एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं. दोनों अमेरिका व पश्चिमी देशों के खिलाफ हैं. चीन ताईवान को हथियाना चाहता है और रूस यूक्रेन पर कब्जा करने के लिए एक वर्ष से युद्ध कर रहा है. चीन ने रूस के सामने जो 12 सूत्रीय शांति प्रस्ताव रखा वह किसी नाटक से कम नहीं हैं. उसमें कहीं भी नहीं कहा गया कि रूसी सेना यूक्रेन से वापस लौट जाए तथा रूस ने जिन क्षेत्रों पर कब्जा किया है वे वापस यूक्रेन को दे दिए जाएं.’’

हमने कहा, ‘‘चीन तो हर हालत में रूस का समर्थन ही करेगा. इसी तरह रूस, चीन, ईरान, तुर्किस्तान सभी अमेरिका के खिलाफ हैं. चीन सैनिक व आर्थिक दृष्टि से एक बड़ी ताकत है. रूस उसके साथ हर कीमत पर भाईचारा बनाए रखेगा. एक जमाने में चीन में माओत्से तुंग और रूस में जोसेफ स्टालिन तानाशाह थे. वर्तमान समय में शी जिनपिंग चीन के और पुतिन रूस के तानाशाह हैं.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, याद कीजिए, जब 1962 में चीन ने भारत पर हमला किया था तब रूस तटस्थ रहा था. उस समय रूस ने कहा था कि भारत हमारा मित्र है लेकिन चीन तो हमारा भाई है. रूस के ऐसे ठंडे रवैये से तब भारत को दुख हुआ था. रूस आज भी चीन को भाई मानता है. इसलिए कभी भी भाई पहले और दोस्त बाद में! भारत को सतर्क रहना होगा कि यदि चीन से टकराव बढ़ा तो रूस मदद के लिए आगे नहीं आएगा.’’

हमने कहा, ‘‘इसीलिए चीन की आक्रामक हरकतों के खिलाफ अमेरिका, भारत, आस्ट्रेलिया और जापान जैसे 4 देशों का क्वाड संगठन बना है. भारत को अपनी ताकत और बढ़ानी होगी ताकि चीन और पाकिस्तान जैसे दोनों शत्रुओं पर दबाव बना रहे.’’