नहीं रूकनी चाहिए जोश की मुहिम शेयर और शिकार दोनों में जोखिम

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, लोगों को सलाह दी जाती है कि जिंदगी में केयर और शेयर का ध्यान रखो. लोग केयर के नाम पर अपने बच्चों को ‘डे केयर’ होम में छोड़कर काम पर चले जाते हैं और बुजुर्गों को ओल्ड एज होम में केयरटेकर के भरोसे छोड़ आते हैं. शेयर का यह हाल है कि सत्ता की कमाई में गठबंधन के नेता शेयर करते हैं और लूट के माल में चोर-डाकू!’’

हमने कहा, ‘‘शेयर मार्केट हो या शेर का शिकार दोनों रिस्की हैं. मामला बिगड़ा तो दोनों आदमखोर हो जाते हैं. शिकार के लिए  जोरों का शोरगुल मचाकर और ढोल पीटकर शेर को उत्तेजित कर बाहर निकाला जाता था. दूसरी ओर शेयर मार्केट में चिल्लाते-चिल्लाते ब्रोकर का गला आरडी बर्मन की कर्कश आवाज में बदल जाता है और बाद में बैठ जाता है तब उसे कंठ सुधारक बटी या लोजेंसेस चूसनी पड़ती हैं. आपने अभिषेक बच्चन की फिल्म ‘गुरू’ मे देखा होगा कि दलाल भारी भीड़ लगाकर एक बिल्डिंग की सीढ़ियों पर चढ़ते हैं और एक-दसरे की ओर हाथ चमकाकर जोरों से चिल्लाते हैं. जो चिल्ला न सके वो शेयर को कैसे ऊंचा उठाएगा. शेयर के उतार-चढ़ाव पर ध्वनिप्रभाव का विश्लेषण विषय पर रिसर्च की जा सकती है.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, शेयर मार्केट का दलाल नया इश्यु, स्क्रिप, अंडरराइटिंग, तेजड़िए, मंदड़िए की भाषा बोलता है जो भाषा विज्ञान के प्रोफेसर को भी हैरत में डाल सकती है. वह बुल या बीयर की बात करता है और दांव लगाता है. उसे इस बात से कोई डर नहीं लगता कि बियर (भालू कहीं नोच-खसोट न ले अथवा बुल उसके लिए ‘आ बैल मुझे मार’ की नौबत न ला दे. महाराष्ट्र के विदर्भ और मराठवाडा क्षेत्र इसलिए पिछड़े हैं क्योंकि यहां कोई हर्षद मेहता या केतन पारेख जैसा दलाल नहीं हुआ. यहां के बैंकों से एक झटके में 600 करोड़ रुपए निकालने का कोई चान्स नहीं है.’’

हमने कहा, ‘‘शेयर के दलाल को सपने में भी दलाल स्ट्रीट और बाम्बे स्टाक एक्सचेंज की इमारत नजर आती है. वह इन्वेस्टर्स के सामने शानदार रिटर्न का मायाजाल बुनता है. लोग फिक्स डिपाजिट या पीपीएफ की बजाय शेयर में इन्वेस्ट करते हैं. उनके कानों में गीत गूंजता है- तदबीर से बिगड़ी हुई तकदीर बना ले, अपने से भरोसा है तो एक दांव लगा ले!’’