लक्षद्वीप में हिंदू एजेंडा प्रशासन की मनमानी

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    केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक किसी राज्य के गवर्नर से भी ज्यादा शक्तिशाली देखे जाते हैं. ऐसे प्रशासक अपनी मर्जी से फैसले लेते और लागू करते हैं. लक्षद्वीप के एडमिनिस्ट्रेटर प्रफुल्ल खोडा पटेल ने मुस्लिम बहुल द्वीपों में शराब के सेवन पर लगी रोक हटा दी है जबकि इस्लाम में शराब पीना नाजायज माना जाता है. शायद पटेल के इस फैसले के पीछे राजस्व बढ़ाने की चाह होगी. उन्होंने पशु संरक्षण का हवाला देकर गोमांस पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया.

    यदि वे बीजेपी के हिंदूवादी एजेंडे पर चल रहे हैं तो पूर्वोत्तर राज्यों में इस तरह का प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया जाता? प्रशासक ने तटरक्षक कानून का सहारा लेकर समुद्र तट पर स्थित मछुआरों के झोपड़े तोड़ने का आदेश दिया जबकि लक्षद्वीप के 70,000 लोग मछली पकड़ने पर निर्भर हैं. ऐसी हालत में असंतोष बढ़ रहा है. कांग्रेस, राकां, सीपीएम व मुस्लिम लीग के नेताओं ने लक्षद्वीप के प्रशासक को वापस बुलाने की मांग की है. यह भी मांग की गई कि पटेल के कार्यकाल में लिए गए फैसलों को रद्द किया जाए.