रेलवे जमीन बिक्री का श्रीगणेश

  • निजी कंपनियां लीज पर लेकर विकास करेंगी

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काफी समय पहले से यह विचार चल रहा था कि रेलवे (Indian Railway)के पास काफी बड़ी मात्रा में जमीन उपलब्ध हैं जिसका निजी और सार्वजनिक भागीदारी के तहत विकास हो सकता है. आमतौर पर देखा गया है कि लीजपर जमीन देने के बाद उसका फिर नवीनीकरण (रिन्यूवल) होता चला जाता है. यह एक तरह से जमीन की बिक्री ही हुई. जमीन की कीमतें भी निरंतर बढ़ती रहती हैं इसलिए रेलवे की देश भर में फैली जमीनों के बारे में कोई फैसला पिछली सरकारो ने नहीं लिया था.

अब आजादी के 73 वर्ष बाद सरकार ने जमीन बिक्री की दिशा में कदम उठाए हैं. रेलवे की खाली पड़ी जमीन को विकसित करने के उद्देश्य से रेल भूमि विकास प्राधिकरण का गठन किया गया जो समूचे देश की 84 रेलवे कॉलोनियों (Railway colony) को विकसित करने का इरादा रखता है. फिलहाल दिल्ली में तीस हजारी मेट्रो और कश्मीरी गेट से लगी रेलवे कॉलोनी की बेशकीमती जमीन को प्राइवेट कंपनियों को लीज पर देने की तैयारी पूरी हो चुकी है. यह जमीन लगभग 21,800 वर्ग मीटर है जो मध्य दिल्ली की सबसे कीमती जमीन मानी जाती है. इस जमीन पर पीपीपी मॉडल के तहत 5 वर्षों में रेलवे कॉलोनी से लेकर मॉल व दुकानें बनानी हैं. इस जमीन के लिए 393 करोड़ रुपए आरक्षित मूल्य रखा गया है अर्थात निविदा बोली इससे अधिक रकम की ही होगी. इस तरह रेलवे को मोटी रकम मिलेगी.

इतना ही नहीं रेल भूमि विकास प्राधिकरण (आरएलडीए) ने प्रधानमंत्री मोदी (Narendra modi)के चुनाव क्षेत्र वाराणसी में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत वसुंधरा लोको रेलवे कॉलोनी के पुनर्विकास के लिए भी आनलाइन बोली मंगवाई है. इस योजना के अंतर्गत कुल 2.5 हेक्टेयर भूमि के 1.5 हेक्टेयर हिस्से में कमर्शियल काम्प्लेक्स विकसित करने की योजना है. प्राधिकरण ने इस प्रोजेक्ट की लीज अवधि 45 वर्ष घोषित की है जबकि रिजर्व प्राइस केवल 24 करोड़ रुपए रखी है. इसके अलावा दिल्ली, गोमतीनगर, देहराइन सहित कई शहरों की रेलवे की जमीनों को विकसित करने का काम भी चल रहा है. रेलवे का राष्ट्रीयकरण किए जाने के बाद यह पहला मौका है जब रेलवे की महंगी जमीनें विकास के लिए प्राइवेट कंपनियों को दी जा रही हैं.