Donald Trump is angry with former Israel Prime Minister Benjamin Netanyahu because of this, said – he made a terrible mistake: Report
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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव (America president election) में ऐसी नौबत इसके पहले कभी नहीं आई थी कि हारा हुआ राष्ट्रपति इतनी हुज्जत और मुंहजोरी करता दिखाई दे. ट्रम्प (Donald Trump) का रवैया उस जिद्दी ब्च्चे के समान था जो खेल में हार जाने पर भी अपनी पराजय स्वीकार नहीं करता और कहता है कि मैं आउट नहीं हुआ. ट्रम्प ने आरोप लगाया था कि उनकी जीत चुरा ली गई है और कहा था कि व्हाइट हाउस खाली नहीं करूंगा. उन्होंने पोस्टल बैलेट में धांधली का आरोप लगाते हुए कहा था कि मृतकों के नाम पर भी वोट डाले गए. उन्होंने वोटों की पुना गिनती कि मांग की तथा सुप्रीम कोर्ट में भी मामला ले गए.

उनका यह हठीला रवैया अत्यंत हास्यापद था. ट्रम्प 214 वोटों से आगे नहीं बढ़ पाए जबकि चुनावी जीत के लिए न्यूनतम 270 वोट पाना जरूरी थी. इसके विपरीत उनके प्रतिद्वंदी डेमोक्रेटिक पार्टी के बाइडेन को 290 वोट मिले. इसलिए चुनाव का फैस्ला स्पष्ट था. ट्रम्प के अडियन रवैये का बेजा फायदा रूस और चीन उठाते दिखाई दिए. चीन ने कहा कि वह बाइडेन के चुनाव को मान्यता नहीं देता. रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने बाइडेन को जीत की बधाई नहीं दी और कहा कि चुनाव नतीजा स्पष्ट नहीं है. अब विशिंगटन में चुनाव अधिकारियों ने अपने राज्य में बाइडेन की 1,54,000 वोटों से जीत की घोषणा कर दी तो ट्रम्प को करारा झटका लगा और उन्होंने लंबे समय बाद हार स्वीकार कर ली.

वास्तव में अमेरिका की जटिल राष्ट्रपति चुनाव प्रणाली तथा 50 राज्यों में से कितने राज्यों के अलग-अलग नियम-कायदे इस समस्या के लिए जिम्मेदार हैं. भारत मं उसी समय बिहार के विधानसभा चुनाव हुए जहां कि पिछड़ापन जातिवाद अपराध व अशिक्षा काफी है फिर भी वहां सभी पार्टियों व उनके नेताओं ने चुनाव परिवारों को स्वीकर किया. ईवीएम से चुनाव भी निर्विध्न हुए. इसके विपरीत व अमेरिका में वोटिंग मशीनों को चुनौती दी गई. आखिरकार ट्रम्प को सद्बुद्धि आई यह अच्छी बात है वरना उन्होंने पनी जगइंसाई कराने में कोई कसर बाकी नहीं रखी थी.