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मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने अपने करियर में 100 शतक लगाए है। लेकिन, आज का दिन उनकी जिंदगी में बेहद खास रहा है।

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  • 14 अगस्त 1990 में सचिन का पहला टेस्ट शतक 
  • 14 अगस्त 1948 में ब्रैडमैन की अंतिम पारी में शून्य 

मैनचेस्टर. मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने अपने करियर में 100 शतक लगाए है। लेकिन, आज का दिन उनकी जिंदगी में बेहद खास रहा है। आज के दिन सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने अपना पहला टेस्ट शतक लगाया था। 14 अगस्त 1990 में सचिन ने टेस्ट मैच में भारत (India) को हारने से बचाया था। वह पांचवें दिन 119 रन बनाकर नाबाद रहे। तब वह महज 17 साल के थे। वहीं, दूसरी तरफ 1948 में आज ही के दिन डॉन ब्रैडमैन (Don bradman) ओवल में अपनी आखिरी टेस्ट पारी में ‘शून्य’ पर बोल्ड हुए थे।  

सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने अपने पहले शतक की 30वीं सालगिरह पर पीटीआई से कहा, ‘मैंने 14 अगस्त को शतक बनाया था और अगला दिन यानि 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस था तो वह खास था। अखबारों में हेडलाइन अलग थी और उस शतक ने सीरीज को जीवंत बनाए रखा।’सचिन ने आगे बताया कि,‘टेस्ट बचाने की कला मेरे लिए नई थी।’ उन्होंने आगे बताया कि इस मैच के दौरान मुझे वकार यूनुस की बाउंसर लगी थी। जिसके कारण मेरे नाक से खून निकलने लगा था। इसके बाद मुझे पता चला की मैं यह मैच बचा सकता हूँ।

उन्होंने आगे कहा, ‘सियालकोट में मैंने चोट लगने के बावजूद 57 रन बनाए थे और हमने वह मैच बचाया। इस मैच में भारत के 38 रन पर 4 विकेट गिर गए थे। वकार की बाउंसर और दर्द में खेलते रहने से मैं मजबूत हो गया।’तेंदुलकर ने कहा,‘डेवोन मैल्कम और वकार उस समय  के सबसे तेज गेंदबाज़ हुआ करते थे। मैंने पूरी मैच के दौरान फिजियो को नहीं बुलाया, क्योंकि मैं किसी को यह जताना नहीं चाहता था कि मुझे दर्द हो रहा है, लेकिन, मुझे बहुत दर्द हो रहा था’

मास्टर ब्लास्टर ने आगे कहा, ‘मुझे मुंबई के शिवाजी पार्क में खेलने के दिनों से ही शरीर पर चोट लगने की आदत हो गई थी। आचरेकर सर हमें एक ही पिच पर लगातार 25 दिन तक खेलने को उतारते थे। वह पिच पूरी तरह टूट-फूट चुकी होती थी। जिसके कारण गेंद उछलकर शरीर पर आती थी और चोट लगती थी।’सचिन से यह पूछने पर कि क्या उन्हें आखिरी समय तक लगा था कि टीम मैच बचा लेगी। उन्होंने कहा, ‘बिल्कुल नहीं। दरअसल, हमारी टीम 183 रन पर 6 विकेट गवां चुकी थी। तब मैं और मनोज प्रभाकर क्रीज पर आए। हम दोनों ने कहा कि हम ये कर सकते हैं और हम मैच को बचा लेंगे।’

उस मैच की खास याद बताते हुए सचिन ने कहा, उस मैच के लिए मुझे  ‘मैन ऑफ द मैच’ अवॉर्ड मिला था। इसके साथ मुझे  एक शैंपेन की बोतल मिली थी। तब मैं 17 साल का था। मेरी उम्र शराब पीने की नहीं थी। इसलिए मैंने मेरे सीनियर साथियों ने पूछा कि इसका क्या करोगे।’ सचिन ने आगे बताया कि, अपने पहले शतक के बाद उनके साथी खिलाड़ी संजय मांजरेकर ने उन्हें  एक सफेद कमीज तोहफे में दी थी।

वहीं,1948 में आज ही के दिन डॉन ब्रेडमैन (Don bradman) ओवल में अपनी आखिरी टेस्ट पारी में ‘शून्य’ पर बोल्ड हुए थे। आस्ट्रेलियाई टीम 1948 में 5 मैचों की टेस्ट सीरीज खेलने के लिए इंग्लैंड दौर पर थी। सीरीज का आखिरी मैच ओवल में खेला गया। उस टेस्ट मैच में सबकी निगाहें ब्रेडमैन पर थीं, जिन्हें 100 की औसत हासिल करने के लिए सिर्फ 4 रनों की  जरूरत थी। लेकिन  इंग्लैंड के लेग स्पिनर एरिक होलीज ने उन्हें ‘शून्य’ पर बोल्ड कर दिया, जिसे क्रिकेट इतिहास का सबसे बड़ा झटका माना जाता है।