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    नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal ) के घर के बहार तोड़फोड़ मामले में गिरफ्तार लोगों की जमानत याचिका ख़ारिज कर दी है। अदालत ने फैसला सुनते हुए कहा कि, शांतिपूर्ण ढंग से विरोध करने के उनके मौलिक अधिकार का उनके द्वारा जानबूझकर उल्लंघन किया गया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नवीन कुमार कश्यप ने आठ आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया। 

    उल्लेखनीय है कि, बुधवार को BJP की युवा शाखा के सदस्यों ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म पर किए गए कमेंट खिलाफ केजरीवाल के घर के बाहर तोड़फोड़ की थी। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री केजरीवाल के घर पर हमला करते हुए बदमाशों ने सीसीटीवी कैमरे और सिक्योरिटी बैरियर भी तोड़ डाले थे। वहीं पुलिस ने इस मामले में 8 लोगों को गिरफ्तार किया है।

    पुलिस ने आरोपी पर धारा 186 (सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में लोक सेवक को बाधित करना), धारा 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा), धारा 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल) और धारा 332 भी लगाई गई थी।

    याचिका के मुताबिक, ’30 मार्च 2022 को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कई गुंडों ने विरोध की आड़ में दिल्ली के मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास पर हमला किया।’ इसमें कहा गया है, ‘वीडियो और तस्वीरों से पता चलता है कि ये गुंडे बेरोक-टोक सुरक्षा घेरे (दिल्ली पुलिस द्वारा बनाए गए) को पार कर गए, बैरिकेड को लात मारकर तोड़ दिया, सीसीटीवी कैमरों पर लाठियां चलाईं, आवास के गेट पर पेंट फेंके और गेट पर चढ़ने लगे।’ याचिका में आरोप लगाया गया है, “हमले के दौरान दिल्ली पुलिस के जवान मूकदर्शक बनकर देखते रहे। उन्होंने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए कुछ भी नहीं किया।