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नयी दिल्ली. तिहाड़ जेल के प्राधिकारियों ने दिल्ली उच्च न्यायालय को मंगलवार को बताया कि पिंजरा तोड़ समूह की सदस्य को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए उसके वकील से हफ्ते में दो बार 30-30 मिनट की बातचीत करने का मौका देने के प्रयास किए जाएंगे। महिला सदस्य को उत्तरपूर्व दिल्ली में इस साल की शुरुआत में हुई सांप्रदायिक हिंसा से संबंधित एक मामले में गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने अदालत से कहा कि उसे पिंजरा तोड़ की सदस्य नताशा नरवाल के बाहर से किताबें मंगाने पर कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते यह सामग्री जेल नियमों के किसी प्रावधान का उल्लंघन न करती हो। ये दलीलें तिहाड़ जेल प्राधिकारियों का पक्ष रख रहे दिल्ली सरकार के स्थायी अधिवक्ता (आपराधिक मामले) राहुल मेहरा ने नरवाल की याचिका के जवाब में दी।

याचिका में नरवाल ने एम.फिल की पढ़ाई पूरी करने के लिए पुस्तकें एवं पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराने तथा वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अपने वकील से हफ्ते में आधे-आधे घंटे के लिए कानूनी बातचीत करने की अनुमति मांगी है। मेहरा ने अदालत को आश्वासन दिया कि कुछ आवश्यक बदलावों के बाद नरवाल को हर हफ्ते 30-30 मिनट की दो वीडियो कॉन्फ्रेंस सुविधा उपलब्ध कराने के प्रयास किए जाएंगे। जेल नियमावली के अनुसार, विचाराधीन कैदी को एक हफ्ते में दो बार 10-10 मिनट के लिए उसके वकील से कानूनी बातचीत की अनुमति दी जाती है। तिहाड़ के वकील की दलीलों पर गौर करते हुए और यह जानने के बाद कि आरोपी की परेशानियों का समाधान हो गया है, न्यायमू्र्ति सी हरिशंकर ने कहा, “यह मुकदमा खुशी-खुशी खत्म हुआ। याचिका का निपटान किया जाता है।”

अदालत ने मेहरा के सक्रिय दृष्टिकोण की प्रशंसा भी की। अधिवक्ता ने दलील दी कि उन्होंने महानिदेशक (जेल) और संबंधित अधिकारियों के साथ विस्तृत बातचीत की और प्रयास किए कि समस्या का समाधान हो जाए। तिहाड़ जेल में जेएनयू छात्रा एवं समूह की सदस्य देवांगन कलिथा के साथ बंद नरवाल को दिल्ली पुलिस ने फरवरी में उत्तरपूर्व दिल्ली के जाफराबाद इलाके में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के संबंध में 23 मई को गिरफ्तार किया था।

मामले में निचली अदालत ने 24 मई को दोनों को जमानत दे दी थी, लेकिन दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने कुछ ही क्षण बाद उनसे पूछताछ करने का आवेदन दायर किया और एक अलग मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया। नरवाल के वकील अदित एस पुजारी ने दलील दी कि वीडियो कॉन्फ्रेंस के वक्त, महिला के पीछे जेल अधिकारी भी मौजूद रहते हैं, जिसकी वजह से वह ठीक से बात नहीं कर पाती। उन्होंने कहा कि जेल नियमावली के मुताबिक जेल अधिकारी आस-पास रह सकते हैं लेकिन उन्हें इतना दूर खड़े रहना होता है कि उन्हें बातचीत सुनाई नहीं दे। इस पर मेहरा ने कहा कि नरवाल को हेडफोन दिए जाएंगे और जेल के अधिकारी कक्ष में मौजूद रहेंगे, लेकिन दूरी बनाकर खड़े रहेंगे। कोविड-19 वैश्विक महामारी के चलते कैदियों के अपने वकीलों के साथ व्यक्तिगत रूप से बातचीत करने पर फिलहाल रोक है।