
भोपाल. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क (KNP) में हाल ही में जन्में मादा चीता ‘ज्वाला’ के चार शावकों में से दो और शावकों की गुरुवार (25 मई) सुबह मौत हो गई। इससे पहले 23 मई को एक शावक की कमजोरी के चलते मौत हो गई थी। कूनो में 24 मार्च को मादा चीता ने चार शावकों को जन्म दिया था। भीषण गर्मी के बीच कमजोर हालत में निगरानी के दौरान दोनों शावकों की मौत हो गई। पिछले तीन महीनों में नेशनल पार्क में चीते की मौत की यह पांचवी घटना है।
कूनो नेशनल पार्क के मुताबिक 23 मई को सुबह मादा चीता ‘ज्वाला’ के एक शावक की मृत्यु के बाद बचे हुए तीन शावकों और मादा चीता की पालमपुर में तैनात वन्य प्राणी चिकित्सकों की टीम एवं मॉनिटरिंग टीम द्वारा दिनभर लगातार निगरानी की गई। दिन के समय ज्वाला को सप्लीमेंट फूड दिया गया। दोपहर बाद निगरानी के दौरान शेष 3 शावक की स्थिति सामान्य नहीं लगी। यहां यह भी ध्यान देने योग्य है कि 23 मई इस गर्मी का सर्वाधिक गर्म दिन भी रहा। दिन का अधिकतम तापमान लगभग 46-47 डिग्री सेल्सियस रहा। दिनभर अत्यधिक गर्म हवाएं एवं लू चलती रही।
Madhya Pradesh | Third cub of Cheetah Jwala also died today during monitoring while being in weak condition amid sweltering heat at Kuno National Park. She had four cubs out of which only one is alive now.
— ANI (@ANI) May 25, 2023
तीनों शावकों की असामान्य स्थिति एवं गर्मी को देखते हुए प्रबंधन एवं वन्य प्राणी चिकित्सकों की टीम ने तत्काल तीनों शावकों को रेस्क्यू कर आवश्यक उपचार करने का निर्णय लिया गया। 2 शावकों की स्थिति अत्यधिक खराब होने से उपचार के सभी प्रयासों के बावजूद भी उनको बचाया नहीं जा सका।
अब बचे हुए एक शावक को गंभीर हालत में गहन उपचार एवं निगरानी में पालमपुर स्थित चिकित्सालय में रखा गया है। उसका लगातार उपचार किया जा रहा है। उपचार के लिए नामीबिया एवं साउथ अफ्रीका के सहयोगी चीता विशेषज्ञों एवं चिकित्सकों से लगातार सलाह ली जा रही है। उक्त शावक वर्तमान में गहन उपचार में है एवं उसके स्वास्थ्य की स्थिति स्थिर है। इसके अलावा मादा चीता ‘ज्वाला’ वर्तमान में स्वस्थ है जिसकी सतत निगरानी की जा रही है।
सभी चीता शावक कमजोर, सामान्य से कम वजन एवं अत्यधिक डीहाइड्रेटेड पाये गये। मादा चीता ज्वाला हैण्ड रिवर्ट चीता है जो पहली बार मां बनी है। चीता शावकों की उम्र लगभग 6 हफ्ते है इस अवस्था में चीता शावक सामान्यतः जिज्ञासु होते हैं एवं माँ के साथ लगातार चलते है। शावकों ने अभी लगभग 10 दिन पूर्व ही माँ के साथ घूमना शुरू किया था। चीता विशेषज्ञों के अनुसार सामान्यतः अफ्रीका में चीता शावकों का जीवित रहने का प्रति बहुत कम होता है। स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल अनुसार पोस्टमार्टम की कार्यवाही की जा रही है।
गौरतलब है कि इस साल अब तक चार चीतों की मौत हो चुकी है। बंदी नस्ल के चीता ‘साशा’ की मार्च में किडनी की बीमारी से मौत हो गई थी, जबकि दूसरे चीता ‘उदय’ की अप्रैल में नेशनल पार्क में बीमार पाए जाने के बाद इलाज के दौरान मौत हो गई थी। वहीं, मई में ‘दक्ष’ नामक चीता पार्क के अंदर अन्य चीतों के साथ लड़ाई में मारा गया। अब, तीन दिनों में मादा चीता ज्वाला के तीन शावकों की कमजोरी के चलते मौत हो गई।
उल्लेखनीय है पांच मादा और तीन नर चीतों सहित आठ चीतों को नामीबिया से पिछले साल 17 सितंबर को भारत में चीतों को फिर से बसाने की योजना ‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत कुनो में लाया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन चीतों को बाड़ों में छोड़ा था। इसके बाद, सात नर और पांच मादा सहित 12 चीतों को इस साल 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से कुनो लाया गया।बता दें कि 1947 में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में भारत में अंतिम चीते की मौत हो गई थी और 1952 में इस प्रजाति को देश से विलुप्त घोषित कर दिया गया था।