Ramdas Athawale
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    इंदौर. देश में जातिगत जनगणना (caste census) के मुद्दे पर राजनीति तेज होने के बीच केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले (Union Minister Ramdas Athawale) ने शनिवार को यहां कहा कि रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) जातिगत जनगणना के पक्ष में है और पार्टी का मत है कि सरकार को जाति के आधार पर नागरिकों की गिनती पर विचार करना चाहिए।

    केंद्रीय मंत्री का यह बयान ऐसे वक्त आया है, जब सरकार ने हाल ही में उच्चतम न्यायालय से कहा है कि पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना ‘‘प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर” है और जनगणना के दायरे से इस तरह की सूचना को अलग करना ‘‘सतर्क नीतिगत निर्णय” है।

    रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) की नुमाइंदगी करने वाले आठवले ने इंदौर में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान एक सवाल पर कहा, “मेरी पार्टी का मत है कि जाति के आधार पर जनगणना होनी चाहिए। हमारा मत है कि सरकार को इस पर विचार करना चाहिए।”

    उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी यह बात नहीं मानती कि देश में जातिगत जनगणना कराए जाने से जातिवाद को बढ़ावा मिलेगा। आठवले ने कहा कि उनकी पार्टी की राय है कि अलग-अलग राज्यों में क्षत्रिय जातियों को भी उनकी आबादी के आधार पर सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण दिया जाना चाहिए।

    सम्राट मिहिर भोज की जाति को लेकर राजपूतों और गुर्जरों के आमने-सामने आने पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री ने कहा कि दोनों समुदायों को इस विवाद का मिल-जुलकर समाधान निकालते हुए आगे बढ़ना चाहिए।

    देश में जातिगत आरक्षण की अधिकतम सीमा को लेकर ऐतिहासिक इंदिरा साहनी प्रकरण की नजीर के बारे में पूछे जाने पर आठवले ने कहा, “उच्चतम न्यायालय ने बोला है कि आरक्षण की सीमा को 50 फीसद से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता। लेकिन ऐसा कोई कानून नहीं है। इस सिलसिले में उच्चतम न्यायालय ने केवल अपना अभिमत दिया है।”

    उन्होंने दावा किया कि संविधान के एक संशोधन के बाद राज्य सरकारों का अधिकार मिल गया है कि जरूरत महसूस होने पर वे वंचित वर्गों को कुल मिलाकर 50 फीसद से ज्यादा आरक्षण देने पर विचार कर सकती हैं। (एजेंसी)