(प्रतीकात्मक तस्वीर)
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    अकोला. प्रकृति की अनमोल विरासत से भरे मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के बीचोंबीच से प्रस्तावित अकोला-खंडवा रेल मार्ग का विस्तारीकरण वन्यप्राणी क्षेत्र के बाहर से किए जाने का निर्णय केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में लिया गया. इससे प्रकृति प्रेमियों के संघर्ष को सफलता मिली है. साथ ही इससे वन्यप्राणी भी निश्चित रूप से लाभान्वित होंगे. 

    रेल मंत्रालय ने अकोला से खंडवा तक 176 किलोमीटर लंबे मीटरगेज रेलमार्ग को ब्रॉडगेज में बदलने का प्रस्ताव कुछ सालों पहले मंजूरी हेतु पेश किया था. यह विस्तारीकरण व्याघ्र प्रकल्प के बीच से किया जाना प्रस्तावित था, जो इस क्षेत्र में रहने वाले बाघों के लिए खतरनाक साबित हो सकता था. इसके चलते उक्त विस्तारीकरण वैकल्पिक मार्ग से किए जाने की मांग की जा रही थी. इस क्षेत्र को अबाधित रखने के लिए यहां के 16 गांवों एवं बाघों के अधिवास से सटे 6 गांवों का पुनर्वास किया गया है.

    ये गांव इस रेलमार्ग के दस किलोमीटर के दायरे में बसे थे. भारतीय वन्यप्राणी संस्था ने भी इस रेलमार्ग का विस्तारीकरण किसी वैकल्पिक मार्ग से किए जाने की राय दी थी. प्रस्तावित वैकल्पिक मार्ग से विस्तारीकरण किए जाने पर जलगांव जामोद एवं संग्रामपुर तहसीलों व परिसर के 100 गांव लाभान्वित होंगे. 

    विस्तारीकरण का मुद्दा सुलझाने हेतु केंद्रीय व्याघ्र संवर्धन प्राधिकरण द्वारा 2015 में त्रिसदस्यीय समिति गठित की गई थी. इस समिति ने भी वन्यप्राणियों की रक्षा के लिए किए जाने वाले उपायों सहित दो वैकल्पिक मार्ग सुझाए थे. उसके बाद इस मुद्दे पर राजनीति शुरू हो गई व प्रोजेक्ट लटका रहा. 11 जून को दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई ‘वेस्टर्न जोन काउंसिल’ की 25वीं बैठक में अकोट-खंडवा नया ब्रॉडगेज रेलमार्ग का निर्माण मेलघाट में पुराने मार्ग के स्थान पर हिवरखेड़ (रूपराव) सोनाला, जामोद, उसरणी, खकनार मार्ग से किए जाने का निर्णय लिया गया. उल्लेखनीय है कि 1960 में बनाया गया पूर्णा-खंडवा मीटरगेज रेल मार्ग मेलघाट के बीच से गुजरता था. इस वजह से इसका उपयोग तस्करी के लिए किया जाता था. 

    प्रकृतिप्रेमियों का संघर्ष सफल 

    मेलघाट की प्राकृतिक संपदा को नुकसान न पहुंचे इसके लिए प्रकृतिप्रेमी लगातार प्रस्तावित रेल मार्ग का विरोध कर रही थी. अंतत: उनका विरोध सफल रहा. इस निर्णय से प्रकृतिप्रेमियों में हर्ष की लहर देखी जा रही है. इस मुद्दे को लेकर अकोला में कई बार निवेदन, बैठक एवं स्लाइड शो आदि माध्यमों से विरोध दर्ज कराया जा चुका था.