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(प्रतीकात्मक तस्वीर)

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  • तीसरे आरोपी की जेल में रवानगी

अकोला. नाबालिग लड़की के लापता होने के मामले में आरोपी पिता-पुत्र सहित एक तीसरे आरोपी को अब जेल भेज दिया गया है. इस बीच, बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने फैसला दिया है कि नाबालिग लड़की को बालिग होने के बाद उसे उसका निर्णय लेने का अधिकार है. नाबालिग पीड़ित लड़की के अपहरण का आरोप लगाते हुए पिछले साल सिविल लाइस पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की गई थी.

लड़की के माता-पिता ने उच्च न्यायालय और गृह मंत्री देशमुख से संपर्क किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पुलिस मामले की उचित जांच नहीं कर रही है. इसलिए, जब मामला आगे बढ़ा, तो तत्कालीन पुलिस अधीक्षक और जांच अधिकारी को गृह मंत्री द्वारा बदल दिया गया. जिस के बाद नये पुलिस अधीक्षक जी.श्रीधर ने पदभार संभाला और इस प्रकरण को गति मिली. बाद में आरोपी को गिरफ्तार किया गया और गंभीर अपराधों के आरोप लगाए गए.

मामले के आरोपियों पर पोस्को और भादसं की धारा 366 के तहत सिविल लाइस पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है. प्रकरण में आरोपी प्रमोद नगरे को कोविड-19 के निकषों के अनुसार 45 दिनों की अस्थायी जमानत दी गयी. अदालत में पेश करने के बाद, अदालत ने उनकी गिरफ्तारी का आदेश दिया और उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई की. जिसमें उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी गई और उन्हें जेल भेज दिया गया.

आरोपी के पिता और दोस्त की गिरफ्तारी पूर्व जमानत की अर्जी नामंजूर होने से उन्हें भी जेल भेज दिया गया. इस वक्त तीनों आरोपी न्यायालयीन हिरासत में हैं. सिविल लाइन पुलिस थाने में दर्ज शिकायत के अनुसार आरोपी पवन नगरे के खिलाफ धारा 363, 366-ए, 109, 376 (2),(एन), 34 व पोस्को की धारा 5, 6, 16, 17 के तहत मामला दर्ज किया गया है.