CSTPS contract workers strike for bonus

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    अकोला. केंद्र सरकार की राष्ट्रीयकृत बैंकों का निजीकरण करने की नीति के खिलाफ सोमवार और मंगलवार को युनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन की ओर से बंद का आयोजन किया गया था. इस बंद को आज अकोला, बुलढाना और वाशिम जिले में बेहतर प्रतिसाद मिला. जिसमें बैंक कर्मचारियों ने केंद्र सरकारी की बैंक निजीकरण नीति का जमकर विरोध किया. इस बंद में बैंक के कर्मचारियों के साथ साथ अधिकारी भी शामिल हुए थे. जिससे पहले ही दिन इस बंद का परिणाम दिखाई दिया.

    अकोला पुलिस प्रशासन ने बंद को अनुमति न देने से बैंक कर्मचारियों ने सरकार के साथ साथ प्रशासन का भी निषेध कर पूरी तरह से बंद रखा. एक दिन पहले ही प्रशासन ने सभी बैंक कर्मचारियों को फोन पर हड़ताल में शामिल नहीं होने का नोटिस जारी किया था. जिसका निषेध इस अवसर पर किया गया. हालांकि कोरोना और धारा 144 को देखते हुए, बैंक कर्मचारी एक साथ आने से बचते देखे गए. हड़ताल के कारण करोड़ों रुपयों का लेनदेन ठप हो गया था. 

    विभाग के 1,598 कर्मचारी बंद में हुए शामिल 

    यूनियन के अनुसार अमरावती डिवीजन के 1,598 कर्मचारी हड़ताल में शामिल हुए. हड़ताल की तीव्रता को देखते हुए, केंद्र सरकार को बैंकों के निजीकरण नीति को वापस लेने के लिए मजबूर करने का निर्णय लिया गया.

    निजीकरण पर जोर क्यों?

    केंद्र सरकार उस उद्देश्य को मिटाने के लिए काम कर रही है जिसके लिए बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट पेश करते हुए बैंकों के निजीकरण पर जोर दिया है. यह उपभोक्ताओं के साथ-साथ विभिन्न तत्वों के लिए घातक है जिससे यूनियनों ने हड़ताल का हथियार उठाया है ताकि सरकार इस पर पुनर्विचार करे. संगठन ने यह भी चेतावनी दी है कि इसके आगे आंदोलन और तेज होगा. यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के निमंत्रक देवीदास तुलजापुरकर, स्थानीय मजदूर नेता श्याम माईनकर, दिलीप पिटके, प्रवीण महाजन, अनिल मावले ने बंद की भूमिका स्पष्ट की. 

    बैंक के एटीएम भी रहे बंद

    इस हड़ताल के कारण राष्ट्रीयकृत बैंकों के एटीएम भी बंद रहे. जिसके कारण ग्राहकों को निजी बैंकों की ओर जाना पड़ा. सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेन्शन के लिए काफी परेशानी होने की जानकारी सूत्रों ने दी. उपभोक्ताओं से मंगलवार को हड़ताल के प्रति जागरूक रहने का आग्रह किया जा रहा था. 

    4 दिनों के लिए बैंक बंद

    पिछले हफ्ते शनिवार और रविवार छुट्टी के कारण बैंक बंद थे. और इस हफ्ते सोमवार व मंगलवार हड़ताल रहने से लगातार चार दिन बैंक का कामकाज प्रभावित हुआ है. जिन जिन एटीएम में राशि उपलब्ध थी वह भी ग्राहकों की भीड़ बढ़ जाने के कारण हड़ताल से पूर्व ही समाप्त हो गयी थी. जो ग्राहक बैंकिंग लेनदेन पर भरोसा करते हैं उन्हें अन्य विकल्पों की तलाश करनी पड़ रही है.