
महाराष्ट्र: हाल ही में महाराष्ट्र में विधायक अयोग्यता मामले को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। जी हां आपको बता दें कि विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर अगले एक-दो दिनों में शिवसेना शिंदे गुट के प्रमुख एकनाथ शिंदे और ठाकरे गुट के प्रमुख उद्धव ठाकरे को नोटिस भेजने वाले हैं। ऐसे में अब फिर एक बार विधायक अयोग्यता को लेकर शिंदे ग्रुप और ठाकरे ग्रुप को अपना पक्ष रखना होगा। आइए जानते है पूरी जानकारी…
एकनाथ शिंदे, उद्धव ठाकरे को नोटिस
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर जल्द ही मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को नोटिस भेजेंगे सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, यह नोटिस शिवसेना विधायकों की अयोग्यता याचिकाओं पर सुनवाई के लिए दोनों समूहों के पार्टी प्रमुखों को एक या दो सप्ताह में अपना पक्ष रखने के लिए जारी किया जाएगा। अब देखना यह होगा कि यह नोटिस कब जारी होता है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
जानकारी के लिए आपको बता दें कि महाराष्ट्र में सत्ता संघर्ष की सुनवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए निर्देश दिया था कि विधायकों की अयोग्यता पर फैसला विधानसभा अध्यक्ष लेंगे। ऐसे में अब मीडिया रिपोर्ट्स नुसार, कल (बुधवार) विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कानूनी विशेषज्ञों और विधानमंडल सचिवालय के अधिकारियों के साथ चर्चा की, जिसके बाद दोनों समूहों के प्रमुखों को नोटिस भेजने का निर्णय लिया गया। इससे पता चलता है कि विधायक अयोग्यता की सुनवाई का काम तेज हो गया है, और जल्द ही फैसला आने की संभावना है।
3 अक्टूबर को दोबारा सुनवाई
आपको बता दें कि इन सबके बीच, ठाकरे समूह की ओर से शिकायत की गई कि विधायक अयोग्यता याचिकाओं पर सुनवाई में देरी हो रही है। जी हां इस संबंध में ठाकरे समूह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की थी। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को विधायकों की अयोग्यता पर जल्द से जल्द फैसला लेने का निर्देश दिया है। साथ ही याचिका पर 3 अक्टूबर को दोबारा सुनवाई होगी इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट ने भी दी।
MLA अयोग्यता याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा..
इस संबंध में अपना फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को चेतावनी देते हुए कहा कि हमने विधायकों की अयोग्यता के संबंध में निर्देश देते समय तीन महीने की सीमा तय नहीं की है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का सम्मान किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने राहुल नार्वेकर से यह भी कहा कि भले ही हमने तीन महीने की समयसीमा नहीं दी, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि विधानसभा अध्यक्ष को अदालत की अवमानना करनी चाहिए। इस मामले की सुनवाई में देरी क्यों? कोर्ट ने राहुल नार्वेकर को ऐसे कड़े शब्द में सवाल किया। अब देखना यह होगा कि सत्ता संघर्ष पर विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर कितने जल्द फैसला सुनाते है।