औरंगाबाद के कचनेर के जैन मंदिर से 2 किलो सोने की मूर्ति चुराने वाले मध्य प्रदेश से गिरफ्तार

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    औरंगाबाद : जिले के चिकलथाना क्षेत्र के कचनेर गांव (Kachner Village) में स्थित जैन समुदाय के तीर्थस्थल श्री 1008 चिंतामणि पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर (Jain Temple) के कोर से 1 करोड़ 5 लाख रुपए मूल्य की 2 किलो से अधिक वजन वाली सोने की मूर्ति (Idol) चुराने वाले दो शातिर बदमाशों को ग्रामीण पुलिस मध्य प्रदेश के सागर जिले से गिरफ्तार करने में कामयाबी हुई है। पुलिस ने उन दोनों बदमाशों से मूर्ति के टुकड़े कर बचे हुए 1 किलो 700 ग्राम सोने के टुकड़े और कैश 70 हजार रुपए बरामद किए है। पकड़े गए आरोपियों की पहचान 32 वर्षीय अर्पित नरेन्द्र जैन निवासी शिवपुरी तहसील जिला गुणा और 27 वर्षीय अनिल भवानी दिन विश्वकर्मा निवासी शहागड जिला सागर मध्य प्रदेश के रुप में की गई है। 

    औरंगाबाद ग्रामीण के एसपी मनीष कलवानिया ने खचाखच भरे संवाददाता सम्मेलन में बताया कि 25 दिसंबर को जिले के चिकलथाना पुलिस में औरंगाबाद के व्यापारी विनोद लोहाडे ने कचनेर में स्थित जैन समुदाय के तीर्थस्थल श्री 1008 चिंतामणि पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर के कोर से 2 किलो से अधिक वजन वाली  सोने की मूर्ति चोरी होने की शिकायत लिखाई थी। चोर ने सोने के असली मूर्ति चुराकर वहां तांबे की मूर्ति रखी है। इसी शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर गंभीरता से जांच शुरु की। घटना की गंभीरता को जानकर एसपी कलवानिया ने इस मामले की जांच चिकलथाना पुलिस सहित ग्रामीण क्राइम ब्रांच को सौंपी थी। 

    अभिषेक के दौरान हाथ चालाकी करते हुए चुराई थी सोने की मूर्ति 

    एसपी कलवानिया ने बताया कि कुछ दिनों पूर्व मंदिर में चातुर्मास जारी था। उसके लिए जैन समाज के आए महाराज के साथ प्रमुख आरोपी अर्पित नरेन्द्र जैन सेवक बनकर उनके साथ आया था। वह मंदिर में चार महीने तक ठहरा हुआ था। चातुर्मास समाप्त होने के बाद आरोपी नरेन्द्र जैन मध्य प्रदेश रवाना होकर वह 20 दिन बाद फिर कचनेर पहुंचा। इधर, हर दिन मंदिर में होने वाले अभिषेक के लिए सोने की मूर्ति को बाहर निकाला जाता था। फिर उस मूर्ति उसी स्थल पर रख दिया जाता था। यह सारी जानकारी हासिल करने के बाद 14 दिसंबर को प्रमुख आरोपी अर्पित नरेन्द्र जैन ने हाथ चालाकी करते हुए मंदिर में रखी हुई सोने की मूर्ति चुराकर अपने साथ राजस्थान के जयपुर से बनाकर लाई हुई तांबे की मूर्ति रखीं और चलते बना। 

    मूर्ति चोरी के कई दिनों बाद मंदिर के पदाधिकारियों को हुआ शक 

    एसपी कलवानिया ने बताया कि प्रमुख आरोपी अर्पित नरेन्द्र जैन ने 14 दिसंबर को मूर्ति चुराकर वह मध्य प्रदेश की ओर रवाना हुआ था। इधर, घटना के करीब 10 दिन बाद मंदिर के पदाधिकारियों को सोने के मूर्ति चोरी होकर उसके स्थान पर तांबे की मूर्ति रखे जाने शक होने पर शहर के व्यापारी विनोद लोहाडे ने चिकलथाना पहुंचकर शिकायत लिखाई। इस घटना के बाद पुलिस ने मंदिर में लगे सीसीटीवी भी खंगाले। पर उन्हें बहुत अधिक जानकारी सीसीटीवी से नहीं मिल पाई थी। पुलिस अपने मुखबीर के माध्यम से चोर तक पहुंचने में कामयाब हुई। 

    मूर्ति चुराने के बाद उसके किए टुकड़े

    एसपी कलवानिया ने बताया कि आरोपी अर्पित जैन ने मंदिर से सोने की मूर्ति चुराने के बाद वह मध्य प्रदेश के अपने पैतृक जिले गुणा की ओर रवाना हुआ।  वहां उसने अपने मित्र अनिल भवानी दिन विश्वकर्मा की मदद लेकर मूर्ति के टुकड़े किए। उसके बाद उसमें करीब 350 ग्राम सोना भोपाल शहर के एक सोनार को बेचा। इधर, ग्रामीण पुलिस ने मामले की जांच शुरु करने पर उन्हें मुखबीर से सूचना मिली कि मंदिर में सोने की मूर्ति चुराने में मध्य प्रदेश निवासी अर्पित नरेन्द्र जैन का हाथ है। इसी जानकारी पर पुलिस ने रविवार को मध्य प्रदेश के सागर जिले में पहुंचकर दोनों आरोपी को अपने कब्जे में लिया। तब उन्होंने मंदिर से सोने की मूर्ति चुराने की बात कबूली। एसपी कलवानिया ने बताया कि मंदिर से सोने की मूर्ति चुराने से पूर्व प्रमुख आरोपी अर्पित जैन ने तांबे की मूर्ति राजस्थान के जयपुर शहर से बनायी थी। विशेषकर, चोरी हुई सोने की मूृर्ति भी जयपुर में ही बनी थी। उसी जानकारी के आधार पर हम बड़ी आसानी से आरोपियों तक पहुंचने में कामयाब होने का दावा एसपी कलवानिया ने किया। पुलिस ने उनसे मूर्ति के टुकड़े कर बेचे हुए सोने की रकम से खरीदे हुए सोने के सिक्के, मूर्ति के किए हुए 1700 ग्राम के सोने के टुकड़े, मूर्ति के टुकड़े करने इस्तेमाल किया गया इलेक्ट्रिक कटर, दो हतोडीया, लोहे की पकड़, हेक्सा ब्लेड, कटर, छोटो इलेक्ट्रानिक काटा ऐसा करीब 95 लाख रुपए का माल जब्त किया। 

    इनकी मेहनत रंग लाई

    मंदिर से मूर्ति चोरी होने के मामले को एसपी मनीष कलवानिया ने गंभीरता से लेकर खुद घटनास्थल का दौरा कर अपने मातहत अधिकारियों को कुछ निर्देश दिए थे। इसी निर्देश पर औरंगाबाद ग्रामीण के डीवाईएसपी जयदत्त भवर, ग्रामीण अपराध शाखा के पीआई रामेश्वर रेंगे, देविदास गात, पीएसआई प्रदीप ठुबे, विजय जाधव, हेड कांस्टेबल लहु थोटे, श्रीमंत भालेराव, पुलिस नाईक शेख नदीम, कांस्टेबल राहुल गायकवाड, योगेश तरमाले, जीवन घोलप ने कड़ी मेहनत कर मामला दर्ज होने के 36 घंटे के भीतर मामले को उजागर करने में कामयाबी हासिल की।