औरंगाबाद: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना (Chief Justice NV Ramanna) ने कहा कि न्यायपालिका न्याय की गारंटी देता है। व्यक्तिगत स्वतंत्रता की गारंटी देता है। गरीबों और कमजोरों को अच्छी तरह से जीने की गारंटी देता है। जरुरत मंदों तक पहुंचने के लिए बुनियादी ढांचे के जरिए न्यायपालिका को मजबूत करने की जरुरत है। पिछड़े मराठवाड़ा (Marathwada) में न्यायालय भवन का विस्तार उसी दिशा में एक बड़ा कदम है।
मुंबई उच्च न्यायालय के औरंगाबाद खंडपीठ के विस्तारित इमारत का लोकार्पण शनिवार को देश के चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना के हाथों किया गया। उसके बाद आयोजित समारोह में अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने यह बात कहीं। इस अवसर पर प्रमुख अतिथि के रुप में राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, देश के केन्द्रीय विधि तथा न्याय मंत्री किरन रिजिजु के अलावा कई न्यायमूर्ति उपस्थित थे। आरंभ में शहर पुलिस की एक टीम ने चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना को सलामी दी। उसके बाद उनके हाथों ध्वजारोहण किया गया। राष्ट्रगान के बाद औरंगाबाद खंडपीठ के विस्तारित इमारत का लोकार्पण चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना के हाथों किया गया। विस्तारित इमारत के लोकार्पण समारोह में अपने विचार में एनवी रमन्ना ने देश भर में न्यायपालिका में बुनियादी ढांचे की कमी के बारे में विस्तार से बताते हुए हर असुविधा का प्रतिशत बताया। न्यायालय भवन का अभाव, वर्तमान न्यायालय भवन में चिकित्सा सुविधाओं का अभाव, स्वच्छ पेयजल सुविधाओं का अभाव, शौचालयों का अभाव, न्यायालय में अभिलेख कक्ष का अभाव, पुस्तकालय का अभाव, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का अभाव, इंटरनेट और कम्प्यूटर प्रणाली का अभाव आदि की कमी पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यदि ये सभी सुविधाएं आसानी से उपलब्ध करायी गयी तो न्यायापालिका को सुव्यस्थित किया जाएगा और लोगों को न्याय मिलेंगा। औरंगाबाद में खंडपीठ के इमारत का विस्तारीकरण करना लोकतांत्रिक तरीके से लोगों तक पहुंचने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ने से प्रगति होना तय
उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है तो सभी की प्रगति होने वाली है। परिणामस्वरुप मुकदमे बाजी के दांवे भी बढ़ेगे। इससे निपटने के लिए नए बुनियादी ढांचे की जरुरत है। इन्फ्रास्ट्रक्चर और नई तकनीक को अपनाना होगा। दावा दायर करने की तुलना में कोरोना काल में निपटान की दर अधिक है। महात्मा गांधी, डॉ. आंबेडकर आदि के दृष्टिाकेन से नेताओं के लोकतंत्र की अवधारण को साकार करने के लिए व्यवस्था को सभी बुनियादी सुविधाओं और आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण करने की जरुरत पर एनवी रमन्ना ने बल दिया।
न्यायिक प्रक्रिया को अधिक गतिशील बनाना समय की मांग
उन्होंने कहा कि देश में न्यायिक प्रक्रिया को अधिक गतिशील और जनोन्मुखी बनाना समय की मांग है और पर्याप्त जनशक्ति के साथ आवश्यक बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराकर न्यायपालिका को मजबूत करना अनिवार्य है। आपराधिक क्षेत्र से जुड़े लोगों सहित केवल पीडि़त ही अदालतों का दरवाजा खटखटाएं, हमें इस अभिशाप से छुटकारा पाने की जरुरत है। चीफ जस्टिस ने कहा कि आम आदमी को कई मुद्दों का सामना करना पड़ता है। उन्हें अदालतों को दरवाजा खटखटाने के लिए स्वतंत्र महसूस करना चाहिए। इस संबंध में समाज के लिए अदालतों की जरुरत है। अदालतें पत्थर की बेजान संरचना नहीं है। उन्हें आम आदमी को न्याय संवैधानिक गारंटी देना चाहिए। कानून और व्यवस्था पर आधारित समाज में अदालत एक महत्वपूर्ण संस्था है और जनता को आर्थिक और सामाजिक न्याय प्रदान करने के लिए इसें एक महत्वपूर्ण तंत्र के रुप में देखा जाना चाहिए। समाज में न्यायालयों की छवि को और अधिक सकारात्मक बनाने के लिए सभी संबंधित एजेंसियों को विशेष प्रयास करने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि इस पृष्टिभूमि में पर्याप्त जनशक्ति, प्राथमिक और भौतिक सुविधाओं के निर्माण के लिए अदालतों का विशेष प्राथमिकता देने की जरुरत है।
बुनियादी ढांचे की कमी न्यायिक प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है
चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा कि अदालतों में बुनियादी ढांचे की कमी न्यायिक प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है। लंबित अदालती कार्यवाही का वित्तिय प्रभाव विभिन्न क्षेत्रों पर पड़ता है। इस पृष्टभूमि में यदि न्यायपालिका से पर्याप्त योगदान की अपेक्षा की जाती हैं, तो इसे प्राप्त करने के लिए वर्तमान स्थिति को बदलना होगा। चीफ जस्टिस ने अपने भाषण में महाराष्ट्र में न्यायिक प्रणाली को सुविधाएं प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री ठाकरे का आभार माना।