औरंगाबाद-उस्मानाबाद नाम बदलने के खिलाफ फिर याचिका दायर, 29 सितंबर को होगी सुनवाई

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महाराष्ट्र: शहरों के नाम बदलने को लेकर महाराष्ट्र में पहले ही गर्मजोशी का माहौल है। ऐसे में अब इससे जुड़ी और एक बड़ी खबर सामने आई है। जैसा की हम जानते है महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) ने शहर के नाम के बाद जिले का नाम बदलने का फैसला किया था। तो अब शहर के बाद जिले का नाम भी बदलकर छत्रपति संभाजी नगर (Chhatrapati sambhajinagar) कर दिया गया है। उस्मानाबाद (Osmanabad) जिले का नाम भी धाराशिव (Dharashiv) रखा गया है। महाराष्ट्र सरकार ने बीते 15 सितंबर को राजपत्र प्रकाशित कर दोनों जिलों के नाम बदल दिये हैं। हालांकि, अब सरकार के उसी फैसले को फिर से चुनौती दी गई है, जिससे शहरों के नाम बदलने का मामला और भी पेचीदा हो गया है। 

महाराष्ट्र सरकार की अधिसूचना को चुनौती 

जी हां हाल ही में सामने आई जानकारी के मुताबिक, औरंगाबाद और उस्मानाबाद के जिलों, तालुकाओं और गांवों का आधिकारिक तौर पर नाम बदलकर छत्रपति संभाजी नगर और धाराशिव करने की महाराष्ट्र सरकार की अधिसूचना को बॉम्बे हाई कोर्ट में नए सिरे से चुनौती दी गई है। इन याचिकाओं पर 29 सितंबर को हाई कोर्ट में सुनवाई होगी। 

29 सितंबर है महत्वपूर्ण तारीख 

गौरतलब हो कि महाराष्ट्र सरकार ने 15 सितंबर की रात को आधिकारिक तौर पर दोनों जिलों और राजस्व क्षेत्राधिकार का नाम बदल दिया था। दिलचस्प बात यह है कि पहले के फैसले के दौरान औरंगाबाद डिवीजन, जिला, सब-डिविजन, तालुका और गांव के साथ-साथ उस्मानाबाद जिले, सब-डिविजन, तालुका और गांव का नाम नहीं बदला गया था। अब राजपत्र जारी कर इसे बदल दिया गया है, लेकिन अब इस फैसले के खिलाफ चुनौती भी दाखिल की गई है, जिस पर 29 सितंबर को सुनवाई होगी।

 

पहले भी दायर की गई याचिका 

सरकार ने फैसला किया है कि औरंगाबाद डिवीजन, जिला, उप-मंडल, तालुका और गांव का नाम अब छत्रपति संभाजीनगर होगा, और उस्मानाबाद जिले, उप-मंडल, तालुका और गांव का नाम धाराशिव होगा। इस संबंध में सरकार की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाएं मुख्य न्यायाधीश द्वारा दायर की गई थीं। देवेन्द्र कुमार उपाध्याय एवं न्यायमूर्ति. आरिफ डॉक्टर की बेंच के सामने पेश किए गए। यह स्पष्ट किया गया है कि पीठ इन याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई करेगी। दिलचस्प बात यह है कि पहले दायर की गई याचिकाओं का अदालत ने निपटारा कर दिया था, ऐसे में अब फिर से सरकार के इस नाम बदलने के फैसले को चुनौती दी गई है।