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    औरंगाबाद : राज्य के तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने अपनी नैय्या डूबती देखी तो जाते-जाते औरंगाबाद (Aurangabad) का नाम संभाजीनगर (Sambhajinagar) करने का प्रस्ताव पारित किया है। यह निर्णय औरंगाबाद वासियों (Residents) पर जबरन थोपने का खेल खेला जा रहा है। औरंगाबाद की जनता को नामांतरण से कोई दिलचस्पी नहीं है। जिस तरह एक क्षेत्र में अगर शराब और बीयर शॉप खोलने के लिए परिसर की जनता का मतदान लेने का प्रावधान है, उसी तरह औरंगाबाद की जनता का नामांतरण को लेकर मत जानने के लिए मतदान लेने की मांग जिले के एमआईएम सांसद इम्तियाज जलील (MIM MP Imtiaz Jalil) ने आयोजित प्रेस वार्ता में की। 

    उन्होंने बताया कि तत्कालीन ठाकरे सरकार द्वारा नामांतरण का प्रस्ताव पारित करने के बाद मुझे शहर के सभी समुदाय के लोगों ने मैसेज कर औरंगाबाद का नाम न बदलने की विनंती की है। जलील ने कहा कि नामांतरण के निर्णय से सबसे अधिक नुकसान टूरिज्म, उद्योग के व्यवसाय पर होगा। आज औरंगाबाद की पहचान विश्व में एक ऐतिहासिक शहर के रुप में बन चुकी है। औरंगाबाद नाम का संबंध औरंगजेब से नहीं है। परंतु, गत 30 सालों से नामांतरण के मुद्दे को शिवसेना-बीजेपी ने साम्प्रदायिक मुद्दे बनाकर उसे हिंदु-मुस्लिम समुदाय में बांटा है। जलील के अनुसार नामांतरण होने पर देश और विश्वस्तर पर सारी प्रक्रिया करने के लिए सरकारी तिजोरी से 1 हजार करोड़ की राशि लूटायी जा सकती। बल्कि, नामांतरण के बाद शहर और जिले की जनता को अपने दस्तावेज पर नाम बदलने के लिए जो तकलीफ होगी, उसें बयां करना मुश्किल है। इसलिए नामांतरण को लेकर स्थानीय जनता का मतदान लिया जाए, अगर जनता को औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर पसंद है, तो मैं भी जनता के मत पर कायम रहूंंगा। 

    शरद पवार का बयान हास्यास्पद 

    गत दो दिन से औरंगाबाद दौरे पर आए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सुप्रीमो शरद पवार द्वारा राज्य की तत्कालीन ठाकरे सरकार द्वारा नामांतरण के लिए गए मुद्दे पर असमर्थन जताना यह खुले आम नाटक है। कैबिनेट में जब भी कोई निर्णय होता है, वह पार्टी के आधार पर होता है। 30 जून को नामांतरण के लिए गए निर्णय को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का समर्थन न होने का जो बयान शरद पवार ने दिया है, वह पूरी तरह हास्यास्पद है। नामांतरण का प्रस्ताव पारित होने के बाद जब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के स्थानीय नेता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के पैरों में जा गिरे, और साफ कहा कि अब हमारी राजनीति खत्म होगी। तब जाकर शरद पवार को यह एहसास हुुआ है कि अब मराठवाड़ा में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी डैमेज होना तय है। इसलिए वे अपनी पार्टी को औरंगाबाद और मराठवाड़ा में बचाने के लिए औरंगाबाद पहुंचे और हास्यास्पद बयान देकर लोगों को गुमराह कर रहे है। जलील ने कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण और बालासाहाब थोरात पर भी निशाना साधते हुए कहा कि नामांतरण को लेकर उनके बयानों से यह साफ हो रहा है कि अब वे भी बीजेपी में प्रवेश करनेवाले है। जलील ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी विधायक सतीश चव्हाण द्वारा नामांतरण के प्रस्ताव को दिए समर्थन पर सवाल उपस्थित कर कहा कि  राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नामांतरण के मुद्दे पर दोगली नीति खेल रही है। 

    इलेक्ट्रॉनिक चैनल के पत्रकारों पर भड़के जलील  

    औरंगाबाद के नामांतरण का सिर्फ प्रस्ताव पारित हुआ है। नाकि, कोई जी.आर. निकला है। इसके बावजूद शहर के कुछ इलेक्ट्रॉनिक चैनल के पत्रकार शहर के समाचार दिखाते समय अभी से संभाजीनगर कह रहे है। इस पर जलील भड़के। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों को यहां तक कह डाला कि वे पत्रकारिता छोड़कर राजनीति में प्रवेश कर ले। क्योंकि, पत्रकारों की विचार धारा भी बीजेपी और आरएसएस जैसी बन चुकी है। 

    बड़ी संख्या में मोर्च में शामिल हो शहर की जनता 

    सांसद जलील ने बताया कि नामांतरण विरोधी संघर्ष समिति द्वारा कल मंगलवार को शहर के भडकल गेट पर स्थित आंबेडकर की प्रतिमा से आमखास मैदान तक दोपहर 2 बजे  मौन मोर्चा निकाला जाएगा। मोर्च में दो शिवसेना और बीजेपी छोड़कर सभी दलों के नेता, कार्यकर्ता हजारों की संख्या में उपस्थित रहेंगे।  उन्होंने शहरवासियों से अपील करते हुए कहा कि वे कल आयोजित मोर्च में बड़ी संख्या में शामिल होकर सरकार को जगाए।