दीपावली को सिंधी समाज द्वारा हटड़ी पर्व के रूप में भी मनाया जाता है

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    साकोली. आखिर यह हटडी क्या है. भारत सहित पूरी दुनिया भर में सबसे बड़ा त्यौहार दिवाली मनाया जाता है. देश व विदेश में दिवाली की धूम देखने लायक होती है. सिंधी समाज पूरी दुनिया भर में फैला हुआ है. ज्यादातर सिंधी समाज उद्योगपति है. उनके लिए दिवाली में हटडी पूजा का खास महत्व है.

    क्योंकि  सिंधी समाज में मान्यता है कि हटडी की पूजन से धंधे व्यापार में बहुत तरक्की मिलती हैं. 5000 वर्ष  पुरानी सिंधी सभ्यता और संस्कृति में भी हटडी का जिक्र है. हटडी का असली मतलब होता है हट मतलब दुकान. जिस भी सिंधि  परिवार में लड़का पैदा होता है तो उसके पहली दिवाली पर ही उसके नाम से हटड़ी पूजी जाती है.

    उसके पीछे एक ही कारण है कि वह बच्चा आगे चलकर व्यापार करेगा. और लक्ष्मी मां उसको धंधे में व्यापार में बरकत देगी. पुरातन विभाग की खुदाई के वक्त मोहन जोदड़ो में जो अवशेष मिले थे वह तकरीबन 5000 वर्ष पुराने थे. उसमें मिले अवशेष में व्यापार से संबंधित वस्तुओं का भी शुमार था. उस वक्त भी काफी उन्नत सिंधी सभ्यता थी. हटडी मंदिर नुमा होती है.

    जिसमें माता लक्ष्मी एवं अन्य देवी देवताओं को विराजमान किया जाता है. और दिवाली से 3 दिन चांद रात पुजा की जाती है. इससे व्यापार उद्योग में बड़ी सफलता मिलती है ऐसा हमारे बड़े बुजुर्गों का कहना है. पूरी दुनिया में अब भी यही प्रथा चल रही है. सिंधी समाज आज भी वही प्रथा का अनुसरण कर रहा है.