
भंडारा. सरकार ने सम्पूर्ण राज्य में पालीथिन थैलियों पर बंदी लाई थी. स्थानीय निकाय प्रशासन द्वारा सख्ती दिखाए जाने से सभी दूकानदारों ने कार्रवाई के डर के मारे कागजी एवं कपड़ों से बनी थैलियों का इस्तेमाल शुरू कर दिया था. सख्ती से पेश आने के कारण बाजार से पालीथिन थैलियों नजर आनी बंद हो गई थी, किंतु कोरोना महामारी फैलने और लाकडाउन के चलते प्रशासन का ध्यान इस बात से हटते ही एक बार फिर प्लास्टिक थैलियों का इस्तेमाल शुरू हो गया है, लेकिन प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.
नालियां, नाले चोकअप होने से जलभराव का खतरा
लाकडाउन लगने से पूर्व पालीथिन थैलियों के इस्तेमाल पर इस कदर सख्ती थी कि लोग भी कार्रवाई से बचने के लिए अपने वाहनों की डिक्की में कपड़े की थैली रखने लगे थे, किंतु अब न केवल दूकानों में, बल्कि फल विक्रेताओं द्वारा पालीथिन थैलियों में सामान देने का काम शुरू है. सभी दूकानों में ऐसे कैरीबैग सहज मिल जा रहे हैं. इस तरह के प्लास्टिक के इस्तेमाल से न केवल विभिन्न बीमारियों के फैलने का खतरा है, बल्कि बारिश में नालियों के चोकअप होने से जलभराव होने की संभावना बढ़ गई है. सरेआम हो रहे पालीथिन थैलियों के इस्तेमाल पर अंकुश लगाने की अत्यंत आवश्कता है.