Sugarcane production

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साकोली (का). भंडारा जिले समेत जिले के अंतर्गत आने वाली आने वाली तहसीलों के किसानों ने अब परंपरागत धान की फसल की जगह गन्ने का उत्पादन की ओर अपना ध्यान केंद्रित किया है. जिले की साकोली तहसील के किसानों ने धान की जगह गन्ना का उत्पादन करने में ज्यादा ध्यान देकर यह संकेत दे दिया है कि आने वाले दिनों में किसानों वे धान की जगह गन्ने का उत्पादन करने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाएंगे.

कभी सूखा अकाल तो कभी बाढ़ जैसी स्थिति के कारण साकोली तहसील के किसानों समेत पूरे भंडारा जिले के किसानों मे पिछले कुछ वर्षों में धान के उत्पादन में बहुत ज्यादा नुकसान सहन किया है. धान की फसल पर साल दर साल कीड़ने लगने, रोग लगने का सिलसिला कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है. धान का भंडारण तथा उसके समर्थन मूल्य को लेकर साल-दर साल टकराव की स्थिति बढ़ती ही चली जा रही है, इसलिए साकोली के किसानों ने धान की फसल की तरफ ध्यान न देकर गन्ने की फसल पर ध्यान केंद्रित किया है. धान की फसल पर होने वाला खर्च अब किसानों की कमर तोड़ रहा है.

उत्पादन के बाद जब बिक्री किए गए धान तथा उस पर जो जो खर्च हुआ है, उनको देखने के बाद अब तो किसानों के लिए धान की सफेद हाथी पालने जैसी ही साबित हो रही है.  बदले हालातों में भंडारा जिल के किसानों ने भी अब केवल धान के उत्पादन पर ही निर्भर रहने न रहकर सोयाबीन, हल्दी, मिर्ची, तुअर दाल के साथ अब गन्ने की भी खेती कर रहा है, ऐसे में अब साकोली समेत समस्त भंडारा जिले के किसानों ने भी यह तय किया है कि वे परांपरागत खेती में जगह गन्ने की खेती करेंगे.