Sowing employment in 32 lakh hectares

खामगांव. किसान को राज्य में विगत 3 - ४ वर्षों से अकाल सदृष्य स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. इस वर्ष राज्य में कहीं पर भी संतोषजनक बारिश नहीं होने के कारण आधे से अधिक राज्य में अकाल पड़ा है. सरकार

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खामगांव. किसान को राज्य में विगत 3 – ४ वर्षों से अकाल सदृष्य स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. इस वर्ष राज्य में कहीं पर भी संतोषजनक बारिश नहीं होने के कारण आधे से अधिक राज्य में अकाल पड़ा है. सरकार ने भी कई जगह पर अकाल घोषित किया है. किंतु स्वतंत्र कृषिमंत्री के अभाव में अकाल की स्थिति में किसानों को दी जाने वाली सुविधाओं का लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है. किसानों ने आरोप लगाते हुए कहा है कि इसके लिए कृषि विभाग में स्वतंत्र मंत्री के न होने की वजह से हो रहा है. किसानों ने कहा है कि सरकार कृषि विभाग को अनदेखा कर किसानो की उपेक्षा कर रही है.

राज्य में अकाल होने के बावजूद स्वतंत्र कैबीनेट मंत्री के बिना ही कृषि विभाग का कारोभार चल रहा है. जिससे सरकार व्दारा किसानों की उपेक्षा किए जाने की बात प्रतीत होती है. क्योंकी विगत 3 – ४ वर्षों से अकाल सदृष्य स्थिति से जूझ रहे किसान आर्थिक रूप से कमजोर होते जा रहे हैं. इस वर्ष तो राज्य में सरकार ने अकाल घोषित किया है. ऐसे में अकाल की स्थिति में दी जानेवाली सुविधाओं पर अमल करने के लिए कृषिमंत्री का होना जरूरी है. किंतु देवेंद्र फडणवीस सरकार ने शुरुआत से ही कृषि विभाग की ओर अनदेखी कर उसे कम महत्व दिया गया है.

किसानों का विकास होना जरूरी
देश की अर्थव्यवस्था कृषि व्यवसाय पर टिकी हुयी है. इसलिए देश के किसानों का विकास होना जरूरी है. भाजपा ने २०१४ की चुनावी वादों में किसानों को लुभाया. सत्ता में आते ही किसानों के लिए विभिन्न योजनाओं की घोषणा की. लेकिन योजनाओं पर अमल करने के लिए सरकार ने कृषि विभाग के लिए अन्य विभागों की तरह स्वतंत्र कृषिमंत्री न देते हुए काम किया. शुरुआत में भाजपा के वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे की ओर राजस्व के साथ-साथ कृषि विभाग की जिम्मेदारी दी गयी थी. बाद में भाजपा के वरिष्ठ नेता (स्व.) भाऊसाहब फुंडकर को कृषिमंत्री बनाया गया. किंâतु कृषिमंत्री पद पर रहते पिछले साल मई में उनका निधन हो गया. इसके बाद कृषिमंत्री का प्रभार अन्य मंत्री की ओर दिया गया है. स्वतंत्र रूप से कृषिमंत्री नियुक्त नहीं किया गया है. जिसका खामियाजा किसान भुगत रहे हैं.

नहीं मिली तुअर, चने की राशि
पिछले वर्ष सरकार ने किसानों से नाफेड द्वारा तुअर, चना की खरीदी की थी लेकिन उन्हें चुकारा नहीं दिए. साथ ही फसल के नाउपज पर घोषित किए अनुदान की रकम भी किसानों को नही मिली. फसल बीमा के भी यही हाल है. जिससे किसान आर्थिक दिक्कतों का सामना करते हुए थक गया है. जिसकी वजह से वह आत्महत्या जैसे कदम उठा रहा है. अगर सही मायने में किसानों को अकाल की स्थिति में सरकार राहत दिलाना चाहती है तो स्वतंत्र कृषिमंत्री नियुक्त कर योजनाओं पर अमल करना जरूरी हुआ है.