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    चंद्रपुर: कोरोना संकट के कारण इस वर्ष स्कूलें बंद थी. इसके चलते होमवर्क, ना प्रैक्टीकल इतना ही नहीं बल्कि परीक्षा भी नहीं और पहली से लेकर 12वीं तक जिले के लगभग साढे तीन लाख विद्यार्थियों को अगली कक्षा के लिए प्रामेाट कर दिया गया है. इसके चलते पिछला शैक्षणिक वर्ष विद्यार्थियों के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ है. बिना परीक्षा दिए ही विद्यार्थी आगे की कक्षा में प्रोमोट होने से विद्यार्थियों में हर्ष का वातावरण है.

    कोरोना संकट के कारण स्कूलें बंद थी. बीच में कक्षा 5 वीं से 12 वीं तक स्कूलें शुरू की गई मात्र स्कूलों में उपस्थिति नाममात्र थी. प्राथमिक स्कूलों की कक्षाएं तो हुई ही नहीं. पहली के विद्यार्थियों ने स्कूल का तो चेहरा तक नहीं देखा.

    जिले में 1 हजार 557 स्कूलें है. इनमें से नगर पालिका क्षेत्र में 59, समाजकल्याण विभाग की 56, आदिवासी विभाग 60, निजी अनुदानित 375, निजी बिना अनुदानित, 391 स्कूलें है. इन स्कूलों में लाखों विद्यार्थी शिक्षण ले रहे है. पिछले वर्ष कोरोना का संकट छाया था. इसके चलते शासन ने निर्णय लेकर 11 वीं के सभी विद्यार्थियों को आगे प्रोमोट कर दिया. विद्यार्थियों का नुकसान ना हो इसके लिए ऑनलाई अभ्यासक्रम शुरू किया गया.

    यह अभ्यासक्रम शहरी क्षेत्र में विद्यार्थियों ने उचित प्रकार से किया. जबकि ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों का बड़ा नुकसान हुआ है. शासन निर्देशानुसार प्रथम 9 वीं से 12 वीं के बाद 5 वीं से 8वीं तक की कक्षाएं ली गई मात्र कोरोना का प्रकोप बढने के बाद इसे भी बंद कर दिया गया. पहली से चौथी के विद्यार्थियों ने तो पूरे साल भर स्कूल में कदम तक नहीं रखा. इन विद्यार्थियों को शैक्षणिक नुकसान से बचाने के लिए आगे प्रमोट कर दिया गया. अब दसवीं और बारहवीं के विद्यार्थियों का मूल्यांकन कर उन्हें उत्तीर्ण किया जाएगा.

    ऑनलाईन शिक्षण के कारण हुआ फायदा

    कोरोना संकट के कारण विद्यार्थियों को इस समय पहली बार ऑनलाईन शिक्षण दिया गया. इसके चलते विद्यार्थियों का शैक्षणिक नुकसान होने से बच गया. विद्यार्थियों ने घर में बैठकर अभ्यास पूर्ण किया. घरों में रहेकर पढाई करने से विद्यार्थी कोरोना से बचे रहे. विद्यार्थियों का स्कूल आने जाने का खर्च बच गया. शहर में मिलनेवाला दर्जेदार शिक्षण गांव के बच्चों को भी मिला.इसके चलते विभिन्न विषय के विद्यार्थियों को सीखने से मिला एवं नया नया सीखने को मिला.

    ऑनलाईन पढाई का नुकसान भी 

    प्रत्येक विद्यार्थियों की आर्थिक परिस्थिति अच्छी नहीं होती है. ऐसे समय मोबाईल या लैपटॉप खरीदने में वे असमर्थ  रहे. इसके लिए ऐसे विदयार्थी ऑनलाईन शिक्षण से वंचित रहे. कुछ विद्यार्थी ऑनलाईन शिक्षण के प्रति उदासीन बने रहे, कुछ स्थानों पर नेटवर्क की समस्या से परेशानी उठानी पड़ी. कम्प्यूंटर और मोबाईल के सामने अधिक समय तक बैठने से बच्चे अन्य बीमारियों का शिकार हो रहे है. 

    जिले में विद्यार्थी की संख्या

    पहली कक्षा 28 हजार 824, दुसरी 31 हजार 273, तिसरी 31 हजार 719, चौथी 33 हजार719, पाचवीं 32 हजार 845, छठवीं 32 हजार 357,सातवी 33 हजार 161, आठवीं 33 हजार 441, नववी 32 हजार 145, दसवीं 33 हजार 441, ग्यारहवीं 32 हजार 360, बारहवीं 28 हजार 789

    आगे की पढाई को लेकर चिंता

    पिछले वर्ष ऑनलाईन शिक्षण में बीता. मात्र विद्यार्थियों को इसका कोई फायदा नहीं हुआ. नुकसान अधिक हुआ. शहरी क्षेत्र में कुछ विद्यार्थियों ने ऑनलाईन पढाई की, मात्र गरीब तबके के और ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थी इस अभ्यासक्रम से दूर रहे, उन्हें अभ्यासक्रम के बारे में कुछ समझ में नहीं आया. ऐसा होते हुए भी अब वे आगे की कक्षाओं में पहुंच गए. इसके चलते आगे की कक्षाओं की पढाई समझने में उन्हें परेशानी पेश आ सकती है. इसलिए यह शैक्षणिक वर्ष भी कोरोना संकट में बीतेगा क्या यह सवाल विद्यार्थी कर रहे है.