भिसी: तीन दशक पूर्व से आज तक के इतिहास पर नजर डाली जाए तो चिमूर तहसील खजाने की चादर से ढंकी होने का पता चलता है. यही वजह है की गुप्तधन खोजने के लिए दूरदराज के गिरोह तथा मांत्रिक यहां आते है. इसका सबसे बडा कारण यहां का 8000 वर्ष पुराना इतिहास है. इन तीनों एक बार फिर यहां ऐसे ही मांत्रिकों की टोली यहां सक्रिय होने की चर्चा है.
चिमूर तहसील पर गोंड राजाओं ने राज किया था. यहां अंग्रेजों ने भी काफी समय तक राज किया, इसी वजह चिमूर क्रांति हुई थी. परंतु इतीहास के पन्नों पर नजर डालें तो चिमूर का इतिहास 8000 वर्ष पूराना है. चिमूर तहसील में शंकरपूर के निकट सात बहनों की पहाडी ( सात बहीनीचे डोंगर ) नामक जगह पर एक छोटी गुफा में रॉक पेंटिंग ( दीवार चित्र ) की खोज की गई.पुरातत्व विशेषज्ञो के अनुसार ये पेंटींग 8000 वर्ष पुरानी है. उत्तर प्रदेश स्थित भिमबेटका नामक विश्व प्रसिध्द पेंटिंग से भी पुरानी ये पेंटिंग्स इस इलाके में आदी मानव के अस्तित्व को दर्शाती है.
दुसरी ओर शंकरपुर से सटे हुए चक लोहारा,नवतला इलाके में आज भी सातवाहन काल ( युग ) के सिक्के पाए जाते है. करीब २० वर्ष पूर्व चकलोहारा इलाके में एक किसान के खेत में हल चलाते समय चांदी की गगरीया ( मटके ) मिलने की जानकारी है. इस घटना के बाद कई वर्षो तक उस किसान के खेत में अनेक जगहों पर गड्ढे खोदनें की घटनाए होती रहती थी.
भिसी गांव में भी आज से २७-२८ वर्ष पूर्व नकटोबा नामक जगह पर खुदाई कर वहां से गुप्तधन निकालने की घटना लोग आज भी चटखारे लेकर सुनते तथा सुनाते है.
१५ वर्ष पूर्व भिसी से सटे चिचोली गांव के बाहरी इलाके में स्थित हनुमान मंदीर में चारपहीया वाहन से आए अज्ञात लोगों ने गड्ढा खोदना शुरू ही किया था कि इसकी भनक चिचोली के लोगों को लगी तथा गांववाले मंदीर कि दौडते ही अज्ञात खुदाई का सामान वहीं पर छोड अपने वाहन से भाग खडे हुए. उसी तरह 3०- 3२ वर्ष पूर्व वर्धा के एक बडे नेता व्दारा भिसी परिसर से गुप्तधन निकाले जाने की चर्चा है.
भिसी परीसर में काफी सारी पुरातन धरोहरें आज भी अस्तित्व में है. इसमें भिसी गांव में स्थित पुरातन वैष्णव मंदीर, गडपिपरी गांव के समीप पुरातन बावडी ( सीढिओं वाला कुआं) नकटोबा मंदीर शामील है. नकटोबा परिसर में पुरातन किला होने की जानकारी बुजुर्गो व्दारा मिलाती है. इन जगहों पर खुदाई करने पर आज भी पुरातन ईंटों के भंडार,पुराने बर्तन,पुराने सिक्के आदी मिलते है.
चिमूर तहसील के हिरापूर स्थित मांडव गोटा ( डॉलमेन ) तथा नेरी स्थित राक्षस मंदीर ( शिव मंदीर ) भी विशेष पुरतन महत्व रखते है. इन सब को देखते हुए यहां खजाने की चादर बिछी होने का अनुमान लगाकर जोखीम मोल लेते हुए गुप्त धन की तलाश की जाती है. यह सारा इतीहास आज भी गुप्तधन खोजने वालों को आकर्षित करता है. उन्हे इस बात का वहम हो गया है कि चिमूर तहसील अपने आप में विषेश महत्व रखता है तथा इस इलाके में अनेक स्थानों पर गुप्त धन खोजने वाले गिरोह तथा मांत्रीक इस ओर आकर्षित होते है.