परिवार से बिछड़े 188 बच्चों की मदद, रेलवे चाईल्ड लाईन की सतर्कता

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    चंद्रपुर. देश भर में अक्सर बच्चे अपनों से रूठकर घर से निकल जाते है, या फिर कोई उन्हें बहला फुसलाकर ले जाने का प्रयास करता है ऐसे में बच्चे अपने परिवार से बिछड जाते है. देश भर में ऐसे ही परिवार बिछडे 188 बच्चों की रेलवे चाईल्ड लाईन ने मदद की और उन्हें उनके परिवार तक सुरक्षित पहुंचाया. यह जानकारी हाल ही में ली गई रेलवे चाईल्ड लाईन की समीक्षा बैठक में दी गई.

    लोकसमग्रह समाज सेवा संस्था बल्लारपुर, चाईल्ड लाईन इडिया फाऊंडेशन मुंबई द्वारा संचालित केन्द्र सरकार पुरस्कृत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय एवं रेलवे मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त प्रभावी उपक्रम रेलवे चाईल्ड लाईन 1098 अंतर्गत रेलवे चाईल्ड लाईन की त्रिमासिक बैठक रेलवे स्टेशन वी.आई.पी. सभागार में स्टेशन प्रबंधक ए.यू.खान के मार्गदर्शन में हाल ही में ली गई. 

    इस अवसर पर आरपीएफ, जीआरपीएफ और रेलवे कर्मचारियों के समन्वय से देश भर में 188 संकटग्रस्त एवं सहायता मांग रहे बच्चों उनके परिवार से मिलाने की जानकारी बैठक के अध्यक्ष एडीईएन एन. ए. नागदेवते ने दी. 

    बैठक में भारतीय रेलवे के संपर्क में आये बच्चों की सुरक्षा और देखरेख करने के संबंधित साथ ही रेलवे के लिए संशोधित मानक संचालन प्रक्रिया, बाल सहायता समूह के कर्तव्य, चाईल्ड हेल्प डेस्क सुविधा, रेलवे अधिकारी, स्टेशन मास्टर, आरपीएफ, जीआरपीएफ मुख्य टिकट निरीक्षक की जिम्मेदारी, बाल कल्याण समिति की भूमिका पर विस्तृत चर्चा की गई. रेलवे चाईल्ड लाईन के समन्वयक भास्कर ठाकूर ने रेलवे चाईल्ड लाईन के कार्यों की जानकारी दी. बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष वर्षा जामदार ने चाईल्ड लाईन 1098 की जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने से संकट में घिरे बच्चों को तत्काल मदद मिलने की बात कही.

    बैठक में रेलवे चाईल्ड लाईन संचालक फादर जोबीन ओवेलील, एएसआई रेलवे सुरक्षा बल के डी.के. गौतम, कमर्शियल विभाग के मुख्य निरीक्षक रवि कुमार मिश्रा, पुलिस सिपाही राजेश ठाकरे, बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष एड. वर्षा जामदार, एड. अभय बी. बोधे, एड. मनीषा नखाते, डा. मृणालिनी धोपटे, राजेश्वर मंडल, रेलवे चाईल्ड लाईन के समन्वयक भास्कर ठाकूर, समुपदेशिका त्रिवेणी हाडके, हिम वांढरे, कविता दोमाला, बबिता लोहकरे, अतुल मडावी, धमेंद्र मेश्राम, विजय अमर्थराज,अजय देऊरघरे, लक्ष्मण कोडापे, इशिका बर्वे आदि उपस्थित थे. समुपदेशिका त्रिवेणी हाडके ने संचालन किया वांढरे ने प्रस्तावना रखी. धमेंद्र मेश्राम ने आभार माना.