देश में बाघों के संरक्षण, संवर्धन में उल्लेखनीय काम; एनटीसीए की राष्ट्रीय बैठक में केंद्रीय मंत्री यादव ने की सराहना

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    चंद्रपुर. केंद्रीय वन तथा पर्यावरण मंत्री भूपेंदर यादव ने यहां सराहना करते हुए कहा कि, देश में बाघ तथा वन्यजीवों के संरक्षण तथा संवर्धन में उल्लेखनीय काम हो रहा है, यही वजह है कि, दुनियाभर के बाघों की 75 प्रतिशत संख्या आज अकेले भारतवर्ष में देखने मिल रही है.

    राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की 21 वीं राष्ट्रीय बैठक में यादव यहां बोल रहे थे. वन प्रबोधिनी में आयोजित इस बैठक में केंद्रीय वन राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे, विधायक किशोर जोरगेवार, जिलाधिकारी अजय गुल्हाने, एनटीसीए के ड़ॉ एस पी यादव, वन्यजीव विभाग के प्रधान मुख्य वनसंरक्षक सुनील लिमये, ताडोबा के क्षेत्रीय निदेशक ड़ॉ. जितेंद्र रामगावकर प्रमुखता से उपस्थित थे.

    इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री यादव ने आगे कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में वन्यजीवों के सरंक्षण तथा संवर्धन को लेकर कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर लक्ष्य केंद्रित कर काम किया जा रहा है, जिनमें विकास, विज्ञान, बाघ संरक्षण, जनसहयोग, पोषक वातावरण निर्मिति, जलवायु संरक्षण आदि का समावेश है.

    उन्होंने आगे कहा कि, आगामी समय में अब वन अधिकारियों को बाघ तथा अन्य वन्यजीवों के संरक्षण के लिए फील्ड पर जाकर काम करने की आवश्यकता होगी.

    उन्होंने कहा कि, देश मे फिलहाल 52 बाघ परियोजना तथा 32 हाथी परियोजनाएं अस्तित्व में है. इनमें से अधिकांश परियोजनाओं को अंतरराष्ट्रीय मान्यता है, उन्होंने कहा कि, देश में बाघ और शेरों की संख्या बढ़ती जा रही है, आनेवाले दिनों में देश में शीघ्र ही पैंथर भी नजर आएगा जो 1952 के बाद से देश मे विलुप्त हो चुका है. 

    उन्होंने यह भी कहा कि, पर्यावरण और विकास एक दूसरे के खिलाफ नहीं है, वन संरक्षण के लिए नए संशोधन और संकल्पनाओं के साथ आगे बढ़ना है. वन्यजीव संरक्षण और जैवविविधता कानून को लेकर शीघ्र ही सदन में चर्चा की जाने वाली है. वन संरक्षण आदिवासियों को विश्वास में लेकर ही संभव हो सकता है. वनों में रहने वाले आदिवासियों के प्रश्न छुड़ाने के लिए वन मंत्रालय हरसंभव प्रयासरत है.

    उन्होंने कहा कि, देश की आबादी विश्व की आबादी की तुलना में 17 प्रतिशत है, ऐसे में कार्बन उत्सर्जन कम करने की दिशा में काम करने की जरूरत है. 

    केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि, विश्व में बाघों की कुल 9 प्रजातियां अस्तित्व में थी, इनमें से 3 प्रजातियां अब विलुप्त हो चुकी है. शेष प्रजातियां भी महज 13 देशों में अस्तित्व में है, भारतवर्ष में वर्ष 2018 में बाघों की कुल संख्या 2967 पाई गई थी, वर्ष 2022 की गणना में निश्चित रूप से इसमें इजाफा देखने मिलेगा, इस गणना के आंकड़े शीघ्र ही जारी किए जाएंगे.

    कार्यक्रम में ताडोबा में बाघ के हमले में मृत वनकर्मी स्वाति ढुमने को श्रद्धांजलि अर्पण की गई, कार्यक्रम में वन्यजीव तथा बाघों के संरक्षण में उल्लेखनीय कार्य करने वाले देशभर के वन अधिकारी तथा कर्मियों का सन्मान किया गया. प्रस्तावना सुनील लिमये ने रखी, संचालन श्वेता शेलगावकर ने किया. जबकि आभार प्रदर्शन अमित मलिक ने किया. इस बैठक के लिए देशभर के सभी बाघ परियोजनाओं के क्षेत्रीय निदेशक उपस्थित थे. केंद्रीय मंत्री ने इन अधिकारियों के साथ खुली परिचर्चा भी की तथा राष्ट्रीय वन्यजीव मंडल की स्थायी समिति की यहां आयोजित 69 वीं राष्ट्रीय बैठक को भी संबोधित किया.

    अभिशाप ना बने बाघों की बढ़ती संख्या : जोरगेवार

    स्थानीय विधायक किशोर जोरगेवार ने यहां केंद्रीय वन तथा पर्यावरण मंत्री भूपेंदर यादव से मुलाकात कर उनसे कहा कि, ताडोबा में बाघों की संख्या निरंतर बढ़ रही है, ऐसे में बाघ अब मानवी बस्तियों में आ रहे है, जिससे मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष बढ़ते जा रहा है, ताडोबा में बढ़ रही बाघों की संख्या कहीं मनुष्य के लिए अभिशाप ना बन जाये इस दृष्टि से नियोजन करने की आवश्यकता है. 

    उन्होंने कहा कि, जिस प्रकार से बाघों के संरक्षण की आवश्यकता है उसी प्रकार से मनुष्य का जीवन भी उतना ही महत्वपूर्ण है. लोगों को वन्यजीवों के हमलों से सुरक्षित रखना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है. राज्य सरकार इस दृष्टि से प्रयासरत तो है ही लेकिन केंद्र सरकार को भी इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है. उन्होंने मानवी बस्तियों पर वन्यजीवों के हमले रोकने के लिए ताडोबा के चहुं ओर एक सुरक्षा दीवार खड़ी करने की आवश्यकता पर बल दिया.