In Maharashtra, 65 people died in just 9 months in wild animal attacks, 23 tigers died in 6 months, the state government said
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    मूल: बाघ के हमले की घटनाओं को देखते हुए जनता को संरक्षित वन में प्रवेश करने से मना करने वाले वन विभाग को अब बाघ को संरक्षित वन छोड़कर सार्वजनिक क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकना चाहिए। अन्यथा जनता आक्रमक हुए के बिना नहीं रहेगी। ऐसी चेतावनी बाजार समिति के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व पार्षद मोतीलाल तहलियानी ने दी है।

    जिले के मुल तालुका में, बाघों द्वारा इंसान सहित सैकड़ों जानवरों पर हमला करने और उन्हें मारने की  घटनाएं हुई हैं। तालुका के अधिकांश गाँव और खेत जंगलों से सटे हुए हैं और कुछ हिस्से बफर जोन से सटे हुए हैं। तहसील का प्रमुख व्यवसाय कृषि है और प्रमुख फसल धान है। किंतु 18 फरवरी को कृषि कार्य कर रही ज्ञानेश्वरी मोहुर्ले को बाघ घसीटते हुए ले गया और उसकी मौत हो गई।

    सप्ताह भर के भीतर जंगल के बाहर हिंसक जानवरों के हमले में चिंचोली के राजेंद्र ठाकरे, जानाला के कीर्तिराम कुडमेथे, आगडी की कल्पना वाढई, सुशी की वैशाली मांदाडे, मारोड के मनोहर प्रधाने, मोरवाही की सुशीला पाल, टेकडी ओर कवडपेठ के एक किसान के ऐसे 8 से 10 लोगों के मवेशियों को और दहेगांव बिट में एक ही दिन पांच मवेशी, कांतापेठ, आगडी, मारोडा, करवन, काटवन परिसर में अनेक जानवरों को बाघ ने अपना शिकार बनाया है।

    इसके अलावा सीटीपीएस परिसर में दो दिनों तक लगातार दो घटनाएं हुई है। इसलिए वनविभाग को चाहिए कि जंगल के हिसंक जानवर में रहे इसके लिए उन्हे उचित व्यवस्था करनी चाहिए। अन्यथा इस प्रकार की घटनाओं में निरापराधों को अपनी जान गंवानी पडती रहेगी। इसलिए नागरिकों की मांग पर ध्यान नहीं दिया गया तो लोगों को रास्ते उतरने विवश होना पडेगा ऐसी चेतावनी वनमंत्री का प्रभार संभालने वाले सीएम उध्दव ठाकरे, उपमुख्यमंत्री अजित पवार, विपक्षी नेता देवेंद्र फडणवसी और पूर्व वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार को भेजे निवेदन में दी है।