पानी के लिए गांव के पास पहुंच रहे वन्यजीव, कृत्रिम तलाशयों पर बाघ परिवारों का कब्जा

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    • तापमान बढ़ने पर तालाबों में अपर्याप्त जल संग्रहण

    चंद्रपुर. चंद्रपुर जिल का अधिकांश क्षेत्र वनाच्छादित है. जंगल में प्राकृतिक रूप से बने नालों, झरनों और झीलों सहित अन्य प्राकृतिक जल जलस्त्रोतों में पानी की कमी के कारण जंगली जानवरों को पानी तलाशने दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. मई महीने में गर्मी अपने सबाब पर है. इससे जंगल के प्राकृतिक जल स्त्रोत सूख रहे है  और जंगली जानवरों को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है. पानी की तलाश में हिंसक जानवर गांव के पास तक पहुंच रहे है. इसकी वजह से मानव वन्यजीव संघर्ष बढ रहा है.

    भीषण गर्मी के कारण हर साल गर्मियों में प्राकृतिक जल स्रोत सूख जाते हैं. पानी की तलाश में वन्यजीव दूर-दूर तक भटकने लगते हैं. ऐसे में अक्सर जंगली जानवरों को जंगलों वाले गांवों के पास देखा जा सकता है. जैसी की घटनाएं सिंदेवाही और नागभीड तहसील में सामने आई जब हिंसक जानवर ने सो रहे लोगों पर हमला कर दिया जिसमें उनकी मोत हो गई. वर्तमान में, कई गांवों में बाघ और तेंदुआ देखे जारहे है. विश्व प्रसिद्ध ताडोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प के बफर जोन में कई गांव शामिल हैं. जंगल भद्रावती में आयुध निर्माणी कॉलोनी तक फैला हुआ है. मूल, सिंदेवाही, नागभीड, ब्रम्हापुरी तालुका के कई गाँव इस जंगल के पास हैं. इसके अलावा, गोंडपिपरी और पोंभूर्णा  तालुका के गांवों के कुछ हिस्से जंगल से घिरे हुए हैं. ताडोबा बफर जोन के पलसगांव वन क्षेत्र में वन्यजीव पानी की तलाश में जंगल से बाहर निकले हैं.

    वन विभाग कृत्रिम जलाशयों का निर्माण कर वन्य जीवों के लिए पानी भर रहा है. जिससे गर्मी में उन्हें पानी की कमी का सामना न करना पड़े.। लेकिन अधिकांश जलाशयों पर बाघ परिवारों ने अपना कब्जा बना लिया है, इसलिए अन्य जंगली जानवरों के लिए अपनी प्यास बुझाने के लिए गाँव के पास नदियों और नालों के सहारे अपनी प्यास बुझाना मजबुरी है. वर्तमान में पारा चढ़ रहा है और वन्यजीव पानी की तलाश में रिहायशी बस्तियों की ओर रुख करने लगे हैं. वैसे शाकाहारी जंगली जानवरों के आने से ग्रामीणों को कोई खतरा नहीं है. किंतु इनकी शिकार के चक्कर में बाघ और तेंदुए आते है तो ग्रामीणों की जान को खतरा है.

     जंगल से घिरे गांव में बंदर, भालू, बाघ, हिरण और अन्य जंगली जानवर रहते हैं. इन जानवरों के लिए कृत्रिम जलाशयों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है. क्षेत्र के निवासी अपने पशुओं के लिए खेत में पानी की व्यवस्था करते हैं. इसलिए अन्य जंगली जानवर हमेशा पानी की तलाश में गांव के पास आते हैं. यहीं से मानव-वन्यजीव संघर्ष सामने आता है. इसलिए वनों में कृत्रिम जलाशयों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है जिससे मानव वन्यजीव संघर्ष को रोका जा सके.