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    गड़चिरोली. बिते 2 वर्षो की कोविड परिस्थिती के कारण छात्रों का सकूल में नियमित आवागमन बंद था. जिसके मद्देनजर छात्रों में स्कूल में जाने का लगाव तथा आस्था प्रकट हो इसलिए राज्य के सभी स्कूलों में स्कूल प्रवेशोत्सव मनाने के निर्देश शालेय शिक्षा मंत्री ने दिए है. जिसके तहत संबंधितों को सूचना दिए गए है. विदर्भ के साथ जिले में 27 जून को प्रत्यख स्कूल का प्रथम कक्षा आयोजित होनेवाली है. कोरोना के 2 वर्ष बाद स्कूल प्रशासन भी छात्रों के स्वागत के लिए तैयार हुआ है. 

    विद्यार्थियों में स्कूल में आने की रूची बढे, जिला परिषद के स्कूल की ओर विद्यार्थी व अभिभावकों का रिझाव बढे इस दृष्टि से शालेय शिक्षा विभाग की ओर से नए नए उपक्रम चलाएं जा रहे है. जिसके तहत सकूल होने के दिन छात्रों को पुष्पगुच्छ या शालेय साहित्य देकर उनका स्कूल की ओर से स्वागत कर शाला प्रवेशोत्सव मनाने का निर्णय सरकारी स्तर पर लिया गया है.

    जिससे शिक्षा विभाग के सूचना के अनुसार शाला परिसर की सफाई, शालेय इमारत सजावट की पूर्ति की गई है. जिसके तहत गड़चिरोली जिले के 12 तहसीलों के करीबन डेढ हजार से अधिक प्राथमिक स्कूलों ने तैयारी शुरू की है. स्कूल के प्रथम दिन किताब दिवस मनाया जानेवाला है. कक्षा 1 से 8 वीं तक के लाभार्थी विद्यार्थियों को निशुल्क किताबे वितरित किए जानेवाले है. विदर्भ छोड अन्य विभागों में 15 जून को स्कूलें शुरू हुई है. वहीं विदर्भ की स्कूले 27 जून को शुरू होनेवाले है. जिससे विद्यार्थियों के स्वागत हेतु स्कूलों में तैयारियां अंतिम चरण में है. 

    स्कूली सामग्री खरीदने में जुटे अभिभावक 

    स्कूल शुरू होनेवाली है. जिससे बुक डेपो तथा जनरल दूकानों में शैक्षणिक साहित्य दिखाई दे रहे है. विद्यार्थी भी शैक्षणिक सत्र को लेकर उत्साहित नजर आ रहे है. किताबे खरीदी करने के लिए अभिभावक व विद्यार्थी दूकानों में भीड करते नजर आ रहे है. प्रतिवर्ष शालये साहित्यों के किंमतों में वृद्धि देखी जा रही है. जिससे शैक्षणिक साहित्य भी महंगे नजर आ रहे है. किंतू जरूरत के हिसाब से अभिभावक व विद्यार्थियों को शैक्षणिक साहित्य खरीदी करने पड़ रहे है. फिलहाल शालेय साहित्य खरीदी करने के लिए अभिभावकों के साथ विद्यार्थी जुटे दिखाई दे रहे है.

    विद्यार्थियों की संख्या बढाने के प्रयास में शिक्षक 

    जिले में जहां गांव वहां स्कूल इसके तहत निजि स्कूलों के की संख्या बढ रही है. जिससे अभिभावकों की अधिक रूची भी अंगरेजी माध्यमों की स्कूलों की ओर बढ रही है. फलस्वयप मराठी माध्यमों की स्कूलों के लिए विद्यार्थियों की किल्लत महसूस हो रही है. स्कूलों में दात्रों की संख्या बढाने के लिए शिक्षक विशेष प्रयास कर रहे है. अनेक छात्रों को अपने ही स्कूलों में प्रवेश करने की बिनती कर रहे है.