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    • प्रतिबंधात्मक उपाययोजना के साथ ग्रामीण अंचल में जनजागृति पर जोर 

    गड़चिरोली. राज्य के अनेक क्षेत्र में लम्पी बीमारी का प्रकोप बढ़ गया है. इस बीमारी के चलते मवेशियों की मौते हो रही है. जिसे तहत राज्य सरकार के आदेश पर पशुसंवर्धन विभाग सतर्क हुआ है. राज्य के अंतिम छोर पर बसे गड़चिरोली जिले के मवेशियों में अबतक इस बीमारी के लक्षण नहीं पाए गए है. किंतु सतर्कता के तौर पर लम्पी चर्मरोग का संक्रमण रोकने के लिए जिले की पशुसंवर्धन यंत्रणा तैयार हुई है. संबंधित प्रशासन की ओर से गांव गांव में बैनर तथा मार्गदर्शन शिविर के माध्यम से मार्गदर्शन किया जा रहा हे. पशुपालकों को विशेष सतर्कता बरतने का आह्वान किया जा रहा है. 

    लम्पी बिमारी के कारण देश समेत राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में बडी मात्रा में मवेशी मृत हुए है. इस दृष्टि से राज्य सरकार ने राज्यभर में विशेष अलर्ट जारी करते हुए पशुसवंर्धन विभाग को सतर्क रहने के निर्देश दिए है. जिले में मार्च 2020 में सिरोंचा तहसील में लम्पी बीमारी के मवेशी का पंजीयन किया गया. राज्यभर में लम्पी बीमारी का संक्रमण हुआ था. इस दौरान जिले में कुछ मवेशियों की मौते हुई थी. इसके 2 वर्ष बाद फिर से राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में लम्पी बीमारी का संक्रमण होकर अनेक मवेशियों की जान गई है.

    जिले में लाखों कीसंख्या में पशुधन होने के कारण जिला प्रशासन अलर्ट मोड पर आया है. जिलाधिकारी तथा जिला आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से मवेशियों का बाजार, पशुप्रदर्शन, अंतरराज्य तथा जिलाअंतर्गत गोवंशीय व महर्षिवर्गीय पशु यातायात पर पाबंदी लगाई है. वहीं राज्य विभाग तथा जिला परिषद के पशुसंवर्धन विभाग ने मवेशियों पर लम्पी बीमारी का संक्रमण रोकने के लिए युद्ध स्तर पर मुहिम चलाई जा रही है. जिसके तहत तहसील के ग्रामीण अंचल में बैनर्स तथा शिविर के माध्यम से पशुपालकों को विशेष सतर्कता बरतने संदर्भ में मार्गदर्शन किया जा रहा है. 

    लम्पी बिमारी का संक्रमण व लक्षण 

    मवेशियों में उक्त बीमारी का संक्रमण खासकर काटनेवाली मक्खीयां, गोचीड चिलटी मार्फत होता है. लम्पी बीमारी होनेवाले मवेशियों के आंख व नाक से पानी बहता है. लसीका ग्रंथीयों को सुजन आयी है. बुखार, दुग्धोत्पादन कम होना, चारा कम खाना, पानी कम पिना, खाल पर गांठे आना आदि लक्षण पाए जाते है. 

    तहसील स्तर पर शिघ्र कृति दल की स्थापना

    लम्पी बीमारी का संक्रमण रोकने के लिए राज्य तथा जिला परिषद के पशुसंवर्धन विभाग अंतर्गत प्रतिबंधात्मक उपाययोजना की जा रही है. जिसके तहत जिले के 12 तहसीलों में तहसीलस्तर पर शीघ्र कृति दल की स्थापना की गई है. लम्पी के लक्षण पाए जाने पर संबंधित विभाग अंतर्गत 5 किमी परिक्षेत्र में बीमारी का संक्रमण रोकने के लिए टीकाकरण करने का नियोजन है. इसके लिए पशूसंवर्धन विभाग द्वारा टीके का संग्रहण किया गया है. 

    रिक्त पदों के कारण दिक्कते 

    राज्य में लम्पी बिमारी का प्रकोप बढ़ने से राज्य सरकार ने विशेष सतर्कता बरतते हुए पशुसंवर्धन विभाग के श्रेणी 1 के पद छोड़ अन्य पद बाह्य यंत्रणा मार्फत तत्काल भरने का फर्मान छोडा है. जिले के पशुसंवर्धन विभाग में श्रेणी के पद के साथ अनेक रिक्त पदों का बैकलॉग होने से लम्पी बीमारी पर नियंत्रण पाने में कार्यरत कर्मचारियों को व्यापक मशक्कत करनी पड़ रही है. राज्य सरकार अंतर्गत आनेवाले पशुसंवर्धन विभाग में सहाय्यक आयुक्त अधिकारी 3, पशुधन विकास अधिकारी 1, सहाय्यक पशुधन विकास अधिकारी 4, पशुधन पर्यवेक्षक 4 तो  जिला परिषद के पशुसंवर्धन विभाग अंतर्गत पशुधन विकास अधिकारी 65, सहाय्यक पशुधन विकास अधिकारी 5, पशुधन पर्यवेक्षक के 33 पद रिक्त है. 

    10 हजार टीके उपलब्ध 

    जिले में अबतक लम्पी बीमारी से ग्रस्त होनेवाले मवेशियों का पंजीयन नहीं है. किंतु बीमारी के नियंत्रणा की दृष्टि से विशेष सतर्कता बरती जा रही है. तहसील स्तर के शिघ्र कृति दल के माध्यम से ग्रामीण अंचल में भेट देकर पशु मालिकों को मार्गदर्शन किया जा रहा है. पशुपालक न घबराते हुए पशुचिकीत्सक के निर्देश के अनुसार मवेशियों का ध्यान रखते हुए समय पर उपचार करे, जिले के लिए 10 हजार टीके उपलब्ध है.

    डा. गाडगे (जिला पशुसंवर्धन उपायुक्त)