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गोंदिया. प्रमुख जिला व विशेष सत्र न्यायालय ने 18 अगस्त को छह साल की मासूम के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी को 30 साल के सश्रम कारावास और 10 हजार रु. जुर्माने की सजा सुनाई है. आरोपी का नाम महेश टेंभुर्णे (32) अर्जुनी मोरगांव निवासी है. दो साल पहले घटना के समय छह साल की बच्ची अपने चाचा के घर पर पालने में खेल रही थी, तभी गांव के आरोपी महेश टेंभुर्णे ने उसे चॉकलेट का लालच दिया और 10 रु. का नोट देकर चॉकलेट खरीदने के लिए घर के पीछे ले जाकर दुष्कर्म किया. बच्ची ने घटना के बारे में अपनी मां को बताया.

इस पर उसकी मां केशोरी थाने पहुंची और आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी. घटना की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन सहायक पुलिस निरीक्षक संदीप इंगले ने मामला दर्ज कर घटना की विस्तृत जांच की और आरोपी के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र पेश किया. इस मामले में सरकार और पीड़ित पक्ष की ओर से विशेष सरकारी  वकील  कैलाश खंडेलवाल ने आरोपी के खिलाफ अदालत के समक्ष 10 गवाहों की गवाही दर्ज करायी.

आरोपी के वकील और पीड़िता के वकील की बहस के बाद प्रमुख जिला व विशेष सत्र न्यायाधीश ए.टी. वानखेड़े ने प्रस्तुत गवाही और मेडिकल रिपोर्ट के साथ-साथ अन्य दस्तावेजी सबूतों को ध्यान में रखते हुए आरोपी महेश टेंभुर्णे को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (ए), (बी) के तहत 20 साल का सश्रम कारावास और 5 हजार रु. का दंड व दंड न भरने पर 4 महीने का अतिरिक्त कारावास की सजा, साथ ही अधिनियम 2012 की धारा 6 में 10 वर्ष का कश्रम कारावास व 5 हजार रु. का दंड व दंड न भरने पर 4 माह की अतिरिक्त सजा ऐसे 30 वर्ष का सश्रम कारावास व 10 हजार रु. द्रव्यदंड की सजा सुनाई है. दंड की रकम उक्त पीड़िता को देने का आदेश दिया गया है.

इस मामले में पुलिस अधीक्षक निखिल पिंगले, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अशोक बनकर के मार्गदर्शन और केशोरी के उपविभागीय पुलिस अधिकारी संकेत देवलेकर और थानेदार सोमनाथ कदम के मार्गदर्शन में सहायक पुलिस उपनिरीक्षक और पैरवी अधिकारी अनिरुद्ध रामटेके ने सालेकसा थाने की महिला पुलिस नायक माधुरी गजभिये ने न्यायालयीन कार्रवाई में  सहयोग किया.

उक्त मामले में पीड़िता की उम्र महज 6 साल और आरोपी की उम्र 30 साल है. आरोपी उसी गांव का रहने वाला है और परिचित था. इसी का फायदा उठाकर वह नाबालिग लड़की को घर के पीछे ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया. समाज की वर्तमान स्थिति को देखते हुए बच्चे असहाय होते हैं और इस प्रकार की विकृत मानसिकता वाले अपराधियों के शिकार बन जाते हैं. समाज में कुछ ऐसी ही विकृत मानसिकता के कारण बाल यौन शोषण की घटनाएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं. इसलिए, माता-पिता को अपने बच्चों की उचित देखभाल कर सतर्कता बरतनी चाहिए.

कैलाश आर. खंडेलवाल (विशेष सरकारी वकील, जिला सत्र न्यायालय, गोंदिया)